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खनन बंद होने से बदहाल हुईं लोगों की जिंदगी,गली गली ढूंढ रहे रोजगार

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प्रयागराज :रिपोर्ट रिवेंदर सिंह:शंकरगढ़ ब्लाक के अंतर्गत आठ दशक से अधिक समय से सिलिका सैण्ड के लिए प्रदेश, देश एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त प्रयागराज जनपद का आर्थिक गढ़ माना जाने वाला शंकरगढ़ आज वीरान पड़ा है। सिलिका सैण्ड खनन पर रोक से हजारों परिवारों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है और मजदूर क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं। मजदूरों को समझ नहीं आ रहा कि उनको कैसे रोजगार मिलेगा। प्रयागराज जनपद का शंकरगढ़ क्षेत्र पाठा क्षेत्र है। इसके चलते जहां आठ दशक पूर्व से सिलिका सैण्ड एवं गिट्टी व पत्थर खनन का कार्य चल रहा था और यही यहां के लोगों का मुख्य रोजगार है और इसी के बलबूते लाखों लोग अपने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाते थे।लेकिन प्रयागराज जनपद का आर्थिक गढ़ के नाम से चर्चित शंकरगढ़ में सिलिका सैण्ड माफियाओं की मनमानी के चलते शासन द्वारा खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया है। जिससे समूचा शंकरगढ़ क्षेत्र वीरान पड़ा है। बुजुर्गो की माने तो अस्सी वर्ष पूर्व से शंकरगढ़ में बालू, गिट्टी व पत्थर का कारोबार हो रहा है।जो कि कई जगह शंकरगढ़ की सिलिका सैण्ड की मांग रहती हैं। समय के साथ-साथ प्रदेश एवं देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मांग बढ़ गईं थीं। इसके चलते पाठा क्षेत्र में सन 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने चित्रकूट जनपद के बरगढ़ में कांटीनेंटल ग्लास लिमिटेड की नींव रखी और साथ ही प्रयागराज जनपद के शंकरगढ़ के गोल्हैया लालापुर में नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड आदि योजनाएं चालू कीं थीं। इसका मूल उद्देश्य महज शंकरगढ़ की सिलिका सैण्ड को बेहतर एवं गुणवत्ता से लवरेज कर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी खपत बढ़ाना था। प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत ने तो मानों क्षेत्र के विकास पर ही ग्रहण लगा दिया। क्षेत्र के किसानों, काश्तकारों की उपजाऊ भूमि को कम्पनियों द्वारा अधिगृहीत कर लिया गया जिसके चलते किसानों एवं काश्तकारों के समक्ष खनिज खनन के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं बचा है अब खनन कार्य पर लगाई गई पूर्णत: रोक से क्षेत्र के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। प्रतिबन्ध लगने के साथ ही क्षेत्र की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो चली है। क्षेत्र में खनन कार्य करने वाले हजारों परिवार के लाखों लोगों के समक्ष जीविको पार्जन की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसके चलते आज मजदूर क्षेत्र से पलायन को मजबूर हो रहे हैं। लेकिन फजीहत तो क्षेत्र के उन हजारों परिवारों की है जिनकी जमीनें भी अधिगृहीत हो गई थी अब उनके समक्ष जीविकोपार्जन बड़ी जटिल समस्या है। यदि समय रहते शासन एवं सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो या तो लोग और बदहाल हो जाएंगे।
डीआरएस न्यूज नेटवर्क

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