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प्रजातंत्र को बचाने जनता को न्याय दिलाने के लिए देश को स्वतंत्रता की तीसरी लड़ाई लड़नी होगी

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स्वतंत्रता आन्दोलन का विरोध करने वाले, राष्ट्रगीत की अवमानना और तिरंगे का विरोध करने वाले, अंग्रेजों के लिए काम करने वाले, उनकी पेंशन पर ज़िंदा रहने वालों के वंशज आज सत्ता में है।
स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना सर्वस्व होम करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों से घृणा करने वाले ए लोग अमर शहीदों के परिवारों से बदला लेने की कार्यवाही कर रहे हैं।
पिछले दिनों 1857 की क्रांति के शहीद वीर कुँवर सिंह के वंशजों के साथ क्या हुआ वह हम सब जानते हैं। महात्मा गांधी कि मूर्तियों को गोली मारी जा रही है, महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे और सावरकर को वीर साबित करने की कोशिशें हो रही हैं।
स्वतंत्रता का मुखपत्र रहे नेशनल हेराल्ड के साथ बदले की कार्यवाही सिर्फ़ इसलिए हो रही है क्योंकि उसने स्वतंत्रता आंदोलन में ब्रिटिश सरकार की बखिया उधेड़कर रख दी थी।विपक्ष के 7 प्रधानमंत्री नेहरू गाँधी परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सत्ता में आए परंतु न उनका  भ्रष्टाचार साबित कर पाए और न तो उनका 1 रु ज़ब्त कर पाए।
मोदी आठवें प्रधानमंत्री है जो 8 वर्ष से पूरी कोशिश के बाद भी नेहरू गांधी परिवार का 1 रू का भी काला धन ज़ब्त नहीं कर पाए हैं।
इससे यह साबित होता है कि या तो ये सारे प्रधानमंत्री झूठे थे या नंबर एक के निकम्मे थे।अपनी तीन पीढ़ियाँ देश के लिए होम कर देने वाले शहीद नेहरू गाँधी परिवार के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है वैसा अगर अमेरिका में अब्राहम लिंकन या कैनेडी के परिवार के साथ होता तो पूरा अमेरिका उसके खिलाफ़ उठकर खड़ा हो जाता। 
परंतु हम भारतीयों का लहू पानी हो गया है, कहीं कोई आवाज नहीं , विरोध के स्वर नहीं...बिकी हुई आवाजें TV पर सुबह से शाम तक अपने ही देश के शहीदों के चरित्र हनन में लगी हुई है। 
पत्रकारिता कोठे पर बैठी है, न्यायपालिका को 'लोया' होने का डर सता रहा है, कार्यपालिका पापी पेट के लिए चुप है और चुने गए प्रतिनिधि जनता के प्रतिनिधि न होकर कुछ व्यापारी घरानों के प्रतिनिधि की तरह काम कर रहे हैं।
सत्ता और पत्रकारिता के गठजोड़ ने बुद्धिजीवियों को अर्बन नक्सल क़रार दे दिया है, छात्रों और नौजवानों को देशद्रोही कहा जा रहा है, किसानों को आतंकवादी कहा जा रहा है और विपक्ष को पाकिस्तान भेजने की बात हो रही है। 
यह चारित्रिक पतन का दौर है।जिस देश और समाज का चारित्रिक पतन हो जाता है तो उसका विनाश अवश्यंभावी है। 
प्रजातंत्र को बचाने और जनता को न्याय दिलाने के लिए देश को स्वतंत्रता की तीसरी लड़ाई लड़नी होगी। सत्य के लिए संघर्ष करना होगा।

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