पत्रकार वह जो खुद प्यासा रहकर खबर तलाशता कहीं कोई कुआं तो नहीं सूख गया:संपादक अनिल दुबे आजाद
लोकप्रिय समाचार पत्र हिंदी दैनिक राष्ट्रसाक्षी संपादक अनिल दुबे आजाद ने पत्रकारिता को गहराई से ना समझने वालों के लिए और बात ही बात में पत्रकारों को गालियां देने वाले और दलाल समझने वालों को सबक साथ ही इन लाइनों को प्रेरणा स्वरूप जानने के लिए कहा कि पत्रकार की कैसी होती है जिंदगानी एक नजर सभी साथियों को इस पर डालने की आवश्यकता है
पत्रकार किसको कहते हैं और कैसा होता हैं पत्रकार खुद भूखा रह कर खबर तलाशता है कि कही कोई भूखा तो नहीं सो रहा है
पत्रकार वह होता है जो खुद प्यासा रहकर खबर तलाशता है कि कहीं कोई कुआं तो नहीं सूख गया
पत्रकार वह होता है जो खुद धूप में तप कर खबर तलाशता है कि कहीं कोई महिला या बच्ची के साथ हिंसा तो नहीं हुई या उन्हें मार तो नहीं दिया गया
पत्रकार वह है जो खुद सर्दी में ठिठुर कर खबर तलाशता है कि कहीं कोई नंगा तन तो नहीं कांप रहा है।
पत्रकार वह होता है जो बरसात में निकल कर खबर तलाशता है कि कहीं कोई छत तो नहीं टपक रही है जिससे कोई बड़ी दुर्घटना हो जाये।
पत्रकार वह है जो जनता के लिए अपनी जान की बाजी लगा देता है लेकिन जब पत्रकार की जान पर आती तो वही जनता तमासगीर बन जाती है
पत्रकार वह है जो अपनी जान को जोखम में डालकर भी दूसरों तक खबर पहुंचाता है खूद को अंधेरे में रखकर भी दूसरों तक रोशनी पहुंचाता है पत्रकार उसको कहते
न कलम बिकती है न कलमकार बिकता है महंगाई के दौर में न कोई पत्रकार बिकता है लिखते लिखते हाथ लहू लुहान हो जाते हैं तब चंद पैसों में अखबार बिकता है
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