प्रयागराज लालापुर इलाहाबाद संग्रहालय के सबसे बड़े आकर्षण के रूप में सेंट्रल हाल में प्रदर्शित की गई अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की कोल्ड पिस्टल हटा दी गई है हां | अब यह पिस्तौल क्रांतिवीरो पर आधारित देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी की शोभा बनेगी | अब राज भवन की अनुमति से आजाद की पिस्तौल इंटरेक्टिव गैलरी मे प्रादर्षित करने की तैयारी है| इसलिए इसे सेंट्रल हाल से हटाकर रिजर्व कर लिया गया है | संग्रहालय का पूरा लुक बदलने की तैयारी है | सेंट्रल हॉल के आधुनिकीकरण पर काम शुरू हो गया है | दस करोड़ की लागत से बनी देश की पहली इंटरक्टिव आजाद गैलरी में प्रदर्शित की जाएगी इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है | इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराने की योजना है | फरवरी 1931 को तत्कालीन एस एस पी नट बाबर के नेतृत्व मे अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस से घिरने के बाद आजाद ने इसी पिस्तौल से खुद की कनपटी पर गोली मारकर भारत माता की आजादी के लिए सहादत चुन ली थी | नट बाबर की सेवानिवृत्ति के वक्त ब्रिटिश सरकार ने यह कोल्ड उन्हें उपहार में दे दी जिसे वह अपने साथ इंग्लैंड ले गया था पहली बार आजाद की कोल्ड पिस्तौल इंग्लैंड से भारत वापस लाने की मांग उठने पर इलाहाबाद के कमिश्नर रहे मुस्तफी ने नट बाबर को पत्र लिखा था |बाबर ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया था बाद में नट बाबरसे कोल्ड वापस लेने के लिए इंग्लैंड स्थित भारतीय हाई कमिश्नर की मदद लेनी पड़ी थी | तब वह इस शर्त पर इसके लिए राजी हुए थे कि भारत की ओर से उन से इसका लिखित अनुरोध किया जाए | इतना ही नहीं अनुरोध के साथ इलाहाबाद में आजाद की शहादत स्थल पर लगी मूर्ति का चित्र भी भेजने की उन्होंने शर्त रखी थी | 1972 में यह ऐतिहासिक और पिस्तौल देश की राजधानी दिल्ली लाई जा सकी और 27 फरवरी 1973 को लखनऊ में क्रांतिकारी सचिंद्र नाथ बख्शी के अध्यक्षता में हुए समारोह के बाद लखनऊ के संग्रहालय मेरखवा दी गयी |कुछ वर्षों के बाद इलाहबाद मे संग्रहालय जब बनकर तैयार हुआ तो इसको यहाँ लाया गया | राजभवन से अनुमति मिलने के बाद से देश की पहली इंटरक्टिव आजाद गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा |
डीआर एस न्यूज़ नेटवर्क
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