जौनपुर।रिपोर्ट चंद्रजीत यादव:क्षेत्र के बड़ागांव में बुधवार को देश का प्रथम ऐतिहासिक जुलूस-ए- अमारी का आयोजन किया गया। जुलूस का नेतृत्व हुसैनी मिशन के अध्यक्ष सैयद जीशान हैदर ने किया। कार्यक्रम का संचालन सैयद परवेज मेहंदी, असगर मेहंदी गुड्डू द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
जुलूस का शुभारंभ सैयद जीशान हैदर की तकरीर से हुआ। ऐतिहासिक जुलूस में देश प्रदेश के प्रसिद्ध अंजुमनों ने अपने अलग अलग अंदाज में नौहा व मातम पेश किया।
अंजुमन अब्बासिया बाराबंकी, अंजुमन हैदरिया अब्दुल्लापुर अंबेडकर नगर, अंजुमन शमशीर-ए-हैदरी व अंजुमन जुल्फिकारिया जौनपुर, अंजुमन परवाने शब्बीर आजमगढ़, अंजुमन पंजतनी वाराणसी, समेत तीन दर्जन से अधिक अंजुमनों ने जुलूस में हिस्सा लेकर नजरान-ए-अकीदत पेश किया।
स्थानीय अंजुमन गुंचये नासिरुल अज़ा ने सभी आने वाले अतिथियों और अंजुमनों की देखरेख में अहम योगदान दिया। बड़ागांव की अंजुमन तमन्ना-ए-जहरा द्वारा जुलूस में आए हुए श्रद्धालुओं के लिए चाय, शरबत की सबीलों का पूरा इन्तेजाम किया।बड़ागांव का ऐतिहासिक जुलूस बुधवार को प्रातः चार बजे अलम,जुलजनाह, अमारियों के साथ निकाला गया। बताते चलें कि जुलूस बाद नमाज़ सुबह पंजा-ए- शरीफ से बरामद हो कर अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ मगरिब के वक्त चहार रौज़ा पर पहुंच कर ख़त्म हुआ। जुलूस में देश प्रदेश विदेश से भी मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचते हैं। वर्तमान समय में हुसैनी मिशन की देख रेख में होने वाले आयोजन की जिम्मेदारी सैय्यद ज़ीशान हैदर ने सम्भाली। आयोजन की खूबी ये है कि यहां मुसलमानों के अलावा हिन्दू भाई भी बढ़चढ़ कर अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हैं। गंगा जमुनी तहजीब आज भी यहां कायम है।
यह जुलूस की का स्थापना मीर औलाद हुसैन ने 23 मई 1904 को किया। जिसका मुख्य उपदेश कर्बला की जंग के बाद यजीद के रिहाइ देने पर जनाब ए जैनब का लुटा काफिला कूफा से मदीना पहुंचने की याद में जुलूस का आगाज होता है। जुलूस में मौलाना वसी हसन फैजाबादी, मौलाना हसन मेंहदी गाजीपुरी, मौलाना एजाज़ मेंहदी, मौलाना शौकत रिज़वी, मौलाना सैयद अबूजर, मौलाना सैयद आरजू हुसैन आब्दी ने अपनी तकरीर में कर्बला की जंग और यजीद की नापाक हरकतों का ज़िक्र किया।यज़ीद इस्लाम और मानवता को शर्म सार कर देना चाहता था मगर इमाम हुसैन ने अहिंसा को अपना कर अपना बलिदान दिया और मानवता को हमेशा के लिए शर्म सार होने से बचा लिया
डीआरएस न्यूज़ नेटवर्क
अंजुमन अब्बासिया बाराबंकी, अंजुमन हैदरिया अब्दुल्लापुर अंबेडकर नगर, अंजुमन शमशीर-ए-हैदरी व अंजुमन जुल्फिकारिया जौनपुर, अंजुमन परवाने शब्बीर आजमगढ़, अंजुमन पंजतनी वाराणसी, समेत तीन दर्जन से अधिक अंजुमनों ने जुलूस में हिस्सा लेकर नजरान-ए-अकीदत पेश किया।
स्थानीय अंजुमन गुंचये नासिरुल अज़ा ने सभी आने वाले अतिथियों और अंजुमनों की देखरेख में अहम योगदान दिया। बड़ागांव की अंजुमन तमन्ना-ए-जहरा द्वारा जुलूस में आए हुए श्रद्धालुओं के लिए चाय, शरबत की सबीलों का पूरा इन्तेजाम किया।बड़ागांव का ऐतिहासिक जुलूस बुधवार को प्रातः चार बजे अलम,जुलजनाह, अमारियों के साथ निकाला गया। बताते चलें कि जुलूस बाद नमाज़ सुबह पंजा-ए- शरीफ से बरामद हो कर अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ मगरिब के वक्त चहार रौज़ा पर पहुंच कर ख़त्म हुआ। जुलूस में देश प्रदेश विदेश से भी मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचते हैं। वर्तमान समय में हुसैनी मिशन की देख रेख में होने वाले आयोजन की जिम्मेदारी सैय्यद ज़ीशान हैदर ने सम्भाली। आयोजन की खूबी ये है कि यहां मुसलमानों के अलावा हिन्दू भाई भी बढ़चढ़ कर अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हैं। गंगा जमुनी तहजीब आज भी यहां कायम है।
यह जुलूस की का स्थापना मीर औलाद हुसैन ने 23 मई 1904 को किया। जिसका मुख्य उपदेश कर्बला की जंग के बाद यजीद के रिहाइ देने पर जनाब ए जैनब का लुटा काफिला कूफा से मदीना पहुंचने की याद में जुलूस का आगाज होता है। जुलूस में मौलाना वसी हसन फैजाबादी, मौलाना हसन मेंहदी गाजीपुरी, मौलाना एजाज़ मेंहदी, मौलाना शौकत रिज़वी, मौलाना सैयद अबूजर, मौलाना सैयद आरजू हुसैन आब्दी ने अपनी तकरीर में कर्बला की जंग और यजीद की नापाक हरकतों का ज़िक्र किया।यज़ीद इस्लाम और मानवता को शर्म सार कर देना चाहता था मगर इमाम हुसैन ने अहिंसा को अपना कर अपना बलिदान दिया और मानवता को हमेशा के लिए शर्म सार होने से बचा लिया
डीआरएस न्यूज़ नेटवर्क
No comments:
Post a Comment