- (विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर पर विशेष)
सीतापुर।रिपोर्ट राकेश पाण्डेय: "हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा" उर्दू की यह कहावत जिले के एड्स रोगियों पर एकदम सटीक बैठती है। एड्स से बचाव के लिए लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों का अब असर नजर आने लगा है। साल-दर-साल एड्स से कम होती मौतों की प्रमुख वजह जागरूकता अभियानों के साथ ही नियमित दवाओं व पौष्टिक भोजन के चलते मौत को दूर ढकेलने में सफलता पाई है।
सीतापुर।रिपोर्ट राकेश पाण्डेय: "हिम्मत-ए-मर्दा तो मदद-ए-खुदा" उर्दू की यह कहावत जिले के एड्स रोगियों पर एकदम सटीक बैठती है। एड्स से बचाव के लिए लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों का अब असर नजर आने लगा है। साल-दर-साल एड्स से कम होती मौतों की प्रमुख वजह जागरूकता अभियानों के साथ ही नियमित दवाओं व पौष्टिक भोजन के चलते मौत को दूर ढकेलने में सफलता पाई है।
एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र के परामर्शदाता उदय प्रताप सिंह का कहना है कि कई मरीज बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। इन मरीजों का पता लगाया जाता है। कई बार उनके पते भी गलत होते हैं। कई बार समय पर सेंटर में नहीं आने से भी इन मरीजों की मौत हो जाती है। लगातार इलाज कराने वालों की अब उम्र भी लंबी हो रही है। वह बताते हैं कि वर्ष 2020 में आठ एड्स पीड़ितों की मौत हुई है। जबकि वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर पांच रह गई। इस वर्ष नवंबर तक एक मात्र एड्स पीड़ित की मृत्यु हुई है। वर्तमान में जिले में 202 एड्स रोगी हैं। इनमें से इस वर्ष 28 मरीजों का पंजीकरण हुआ है। इनमें से 21 पुरुष और सात महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि जिले में करीब 300 लोग ऐसे हैं। जो कि इंजेक्शन के जरिए नशा करते हैं। इंजेक्शन से नशा करने वालों में सत्तावन लोग एड्स से पीड़ित भी हैं।
अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 के मध्य कुल अट्ठाइस नए मरीज चिन्हित हुए हैं। इनमें से इक्कीस पुरुष और सात महिलाएं हैं।
ऑपरेशन से पूर्व होती है जांच
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एस के शाही बताते हैं कि जिले में सदर अस्पताल, महिला चिकित्सालय और सिधौली तंबौर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एड्स की जांच की जाती है। किसी भी आपरेशन अथवा रक्तदान से पूर्व संबंधित की एड्स जांच की जाती है। इसके अलावा सभी गर्भवती की भी एचआईवी जांच की जाती है। यदि किसी गर्भवती में एचआईवी वायरस पाया जाता है, तो उसके होने वाले बच्चे के एड्स संक्रमित होने की 20 प्रतिशत तक की संभावनाएं हाेती हैं। लेकिन समय पर महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है। वह बताते हैं कि एसआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कम से कम तीन माह बाद बीमारी के हल्के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। इसके बाद दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। जब तक बीमारी की जांच होती है तब तक संक्रमित व्यक्ति रोग को कई लोगों तक पहुंचा देता है।सुरक्षा क्लीनिक से लें जानकारियां
यौन एवं प्रजनन सुरक्षा क्लीनिक के काउंसलर शोभित शुक्ला का कहना है कि एड्स को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी लोगों में इस बीमारी को लेकर भ्रांतियां है और वह इसकी जांच कराने नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी एड्स जांच केंद्र पर आने वाले मरीज की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति नि:संकोच आकर अपनी जांच करा सकता है। वह यह भी बताते है कि इस केन्द्र पर यह भी बताया जाता है कि कोई भी व्यक्ति एचआईवी के वायरस किस तरह से संक्रमित होता है, साथ ही इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स व सुरक्षित नशा करने का रास्ता अपनाने की सलाह भी दी जाती है।इस तरह फैलता है संक्रमण
- असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से संक्रमित रक्त चढ़ने से संक्रमित मां से नवजात में संक्रमित ब्लेड के प्रयोग से
- संक्रमित निडिल के प्रयोग से
दैनिक राष्ट्रसाक्षी
अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 के मध्य कुल अट्ठाइस नए मरीज चिन्हित हुए हैं। इनमें से इक्कीस पुरुष और सात महिलाएं हैं।
ऑपरेशन से पूर्व होती है जांच
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एस के शाही बताते हैं कि जिले में सदर अस्पताल, महिला चिकित्सालय और सिधौली तंबौर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एड्स की जांच की जाती है। किसी भी आपरेशन अथवा रक्तदान से पूर्व संबंधित की एड्स जांच की जाती है। इसके अलावा सभी गर्भवती की भी एचआईवी जांच की जाती है। यदि किसी गर्भवती में एचआईवी वायरस पाया जाता है, तो उसके होने वाले बच्चे के एड्स संक्रमित होने की 20 प्रतिशत तक की संभावनाएं हाेती हैं। लेकिन समय पर महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है। वह बताते हैं कि एसआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कम से कम तीन माह बाद बीमारी के हल्के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। इसके बाद दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। जब तक बीमारी की जांच होती है तब तक संक्रमित व्यक्ति रोग को कई लोगों तक पहुंचा देता है।सुरक्षा क्लीनिक से लें जानकारियां
यौन एवं प्रजनन सुरक्षा क्लीनिक के काउंसलर शोभित शुक्ला का कहना है कि एड्स को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी लोगों में इस बीमारी को लेकर भ्रांतियां है और वह इसकी जांच कराने नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी एड्स जांच केंद्र पर आने वाले मरीज की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति नि:संकोच आकर अपनी जांच करा सकता है। वह यह भी बताते है कि इस केन्द्र पर यह भी बताया जाता है कि कोई भी व्यक्ति एचआईवी के वायरस किस तरह से संक्रमित होता है, साथ ही इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स व सुरक्षित नशा करने का रास्ता अपनाने की सलाह भी दी जाती है।इस तरह फैलता है संक्रमण
- असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से संक्रमित रक्त चढ़ने से संक्रमित मां से नवजात में संक्रमित ब्लेड के प्रयोग से
- संक्रमित निडिल के प्रयोग से
दैनिक राष्ट्रसाक्षी
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