मरीजों को निजी चिकित्सालय ले जाने के लिए विवश व मजबूर होते हैं।अस्पताल की दशा कब सुधरेगी - DRS NEWS24 LIVE

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मरीजों को निजी चिकित्सालय ले जाने के लिए विवश व मजबूर होते हैं।अस्पताल की दशा कब सुधरेगी

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जौनपुर अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जो मात्र कुछ दिनों में रिटायर होने वाले हैं। वहीं ऐसा लगता है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जल्द रिटायर होने की धुनकी में दोनों हाथों से धन बटोरने में जुटे हुए हैं। जहाँ जिला अस्पताल की हालत दिन ब दिन बद से बदतर होती नजर आ रही है। बताते चलें कि सोमवार की रात्रि लगभग 11:30 पर एक टीम जब जिला अस्पताल के फीमेल वार्ड में पहुंची तो वहां ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स, वार्ड आया, वॉर्ड ब्वाय ड्यूटी रुम का दरवाजा बंद करके नदारद दिखाई दिए। पत्रकार द्वारा जब इसकी फोटो खींची जाने लगी तभी एक नर्स बगल वाले ड्यूटी रुम से उठकर आई और बताया कि मैं बगल वाले कमरे में मौजूद थी।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब फीमेल वार्ड के बेड नम्बर 10 पर भर्ती मरीज का परिजन इमरजेंसी रुम में आकर अपने मरीज की हालत बिगड़ी हुई बताया। जिसने बताया की ड्युटी रुम में कोई भी कर्मी उपलब्ध नहीं है जिसके बाद पत्रकारों की एक टीम मौके पर रियल्टी चेक करने वहां पहुंची तो देखा कि मरीज के परिजन द्वारा जो शिकायत की गई थी हालात वैसे ही पाई गई  जहाँ मौके पर कोई भी स्टाफ नर्स या कर्मी मौजूद नहीं था। आओ देखा ना ताव ड्युटी पर तैनात मेडिकल कालेज की नर्स ने झट से चंद दिनों के लिए बने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को फोन लगाकर पत्रकारों द्वारा खींचे जा रहे फोटो के बारे में बताया, जिसके बाद नर्स द्वारा अपने फोन से पत्रकार व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से फोन पर बात कराया तो मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अनाप-शनाप बकने लगे।
बताते चले कि जिला अस्पताल में आने से पूर्व जब यह मुख्य चिकित्सा अधिकारी रहे तब इनके भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के कारण इनका डिमोशन करते हुए इन्हें  जिला अस्पताल भेजा गया। जहाँ अभी भी इनकी जांच उच्चस्तरीय ढंग से चल रही है लेकिन जैसे-जैसे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के रिटायर होने की घड़ी नजदीक आ रही है वैसे ही इनके मन में मनमाने ढंग से धन बटोरने की लालसा बढ़ती जा रही है। जिला अस्पताल का आलम यह है कि एक इमरजेंसी में बैठने वाले डॉक्टर के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है। जहाँ दिन में दो बजे के बाद ना तो जिला अस्पताल में कॉल करने पर फिजिशियन उपलब्ध रहता है और ना ही सर्जन ही दिखाई देता है। बस इस अस्पताल में इलाज भगवान भरोसे चल रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि चुनाव आने पर जनता से बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता भी ऐसे समय आते हैं जब सभी डॉक्टर मौजूद रहते हैं। उच्चाधिकारी से लेकर सत्ता पक्ष के नेता जब कभी रात में दौरा करके देखेंगे तो अधिकांश स्टाफ नर्स जिन्हें लगभग एक एक लाख रुपए तनख्वाह मिलती है वह अपने-अपने कमरों पर सोती हुई दिखाई देंगी और डॉक्टर तो नदारद ही दिखाई देंगे। इसी बात से असंतुष्ट होकर कुछ मरीजों के परिजन अपने मरीजों को निजी चिकित्सालय में ले जाने के लिए विवश व मजबूर हो जाते हैं।अस्पताल की दशा कब सुधरेगी यह तो भगवान भी नहीं बता सकता क्योंकि इस जनपद के सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेता कभी इस अस्पताल की फैली हुई दुर्दशा को देखने के लिए कभी नहीं झांकी मारते हैं।

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