जौनपुर क्रांतिकारी पत्रकार परिषद केंद्रीय प्रमुख अनिल दुबे आजाद ने कहा कि जिस प्रकार से सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपने अपने योग्यता के अनुसार पद और वेतन पाकर सरकार के स्कीमों को जनता तक एवं जनता की समस्या को सरकार तक पहुंचाते हैं और इनको लोक सेवक का दर्जा दिया गया है। जबकि यही कार्य पत्रकार भी करते हैं जनता की आवाज को सरकार तक और सरकार की बातों को जनता तक पहुंचाते हैं और अपने योग्यता अनुसार संस्थान में पद और वेतन पाते हैं। इसके बावजूद पत्रकारों को लोक सेवक का दर्जा क्यों नहीं? उसी प्रकार से पत्रकारों को भी लोक सेवक का दर्जा दिया जाए। क्रांतिकारी पत्रकार परिषद केंद्रीय प्रमुख एवं संपादक अनिल दुबे आजाद जी ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि सरकारे जिस प्रकार से अपने हितार्थ नियम कानून बनाकर अपना कार्य कर लेती हैं उसी प्रकार से पत्रकारों के विषयों पर भी कार्य किया जाये। पत्रकारों को चौथे स्तंभ का दर्जा देकर अधिसूचित किया जाए मीडिया कमीशन का पुनः पुनर्गठन हो मीडिया प्रोटक्शन बिल लागू हो देश के हर प्रदेशों में निषप्क्ष रुप से प्रेस मान्यता समिति विज्ञापन मान्यता समिति पत्रकार बंधु बिना भेदभाव के देश के सभी पत्रकारों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाए देश के सभी प्रदेशों में एक समान रूप से वरिष्ठ पत्रकार पेंशन योजना लागू हो पत्रकारों को भी लोक सेवक का दर्जा दिया जाए पोर्टर/यूट्यूब के पत्रकारों को भी अस्थाई रूप से मान्यता दिया जाए कोरोना काल से बंद पत्रकारों के रेल रियायत सुविधा को बहाल किया जाए देश के सभी जिलों के पत्रकारों को सस्ते दरों पर भवन भूखंड दिया जाए देश के सभी जिलों में सूचना भवन संकुल बनाया जाये पत्रकारों के मामलों में किसी भी प्रकार से हीला हवाली न हो जिसके लिए एक हाई लेवल निगरानी कमेटी का गठन हो। यदि सरकार पत्रकारो के उपरोक्त मांगों को लागू करने में देरी करती है तो क्रांतिकारी पत्रकार परिषद परिवार देश भर में जन जागरण कर एक बड़ा आंदोलन करेगी।
सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सरकारे पत्रकारों के मामलों में अनदेखीं करतीं चलीं आ रही है,
उन्होंने बताया पत्रकारों की उपरोक्त विभिन्न मांगों को अभी तक ठंडे बस्ते में रखा गया है जो बहुत ही खेद का विषय है, जो समाज सबको उजाला दिखाता है एवं सब के न्याय की बात करता हो, उसी के साथ अन्याय हो और उसी को अंधेरा मे रख दिया गया है। यह बहुत ही खेद के विषय के साथ बहुत बड़ी विडम्बना है। यदि इसी तरह अनदेखी की गई तो, उपरोक्त सभी मांगों में भी न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा।
सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सरकारे पत्रकारों के मामलों में अनदेखीं करतीं चलीं आ रही है,
उन्होंने बताया पत्रकारों की उपरोक्त विभिन्न मांगों को अभी तक ठंडे बस्ते में रखा गया है जो बहुत ही खेद का विषय है, जो समाज सबको उजाला दिखाता है एवं सब के न्याय की बात करता हो, उसी के साथ अन्याय हो और उसी को अंधेरा मे रख दिया गया है। यह बहुत ही खेद के विषय के साथ बहुत बड़ी विडम्बना है। यदि इसी तरह अनदेखी की गई तो, उपरोक्त सभी मांगों में भी न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा।
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