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इमाम हुसैन का मदीने से सफर 28 रजब का निकाला गया जुलूस

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जौनपुर शाहगंज क्षेत्र के बड़ागांव में सोमवार को चौदह सौ वर्ष पूर्व इमाम हुसैन द्वारा आज ही के दिन 28 रजब को मदीने से सफर करने की याद में ज़ुलजनाह व अलम का जुलूस बरामद किया गया।
और नवासे रसूल के परिवार व साथियों पर हुए अत्याचार को याद कर जायरीनों ने आंसू बहाए।
28 रजब को ऐतिहासिक सफर क्यों माना जाता है।
ये बात 20 रजब सन् 60 हिजरी की है जब मुआव्विया की मृत्यु हो गयी और उसका पुत्र यज़ीद ने खुद को मुसलमानो का खलीफा घोषित कर दिया ।
इमाम हुसैन (अ.स ) हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) के नवासे थे और यह कैसे संभव था कि वो यज़ीद जैसे ज़ालिम और बदकार को खलीफा मान लेते 
इमाम हुसैन ने नेकी की दावत देने और इस्लाम की सही तस्वीर बचाए रखने के लिए , लोगों को बुराई से रोकने के लिए अपना पहला सफर मदीने से मक्का का शुरू करने का फैसला कर लिया।
और अबू मख़नफ़ के लिखने के अनुसार इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम ने 27 रजब की रात या 28 रजब को अपने अहलेबैत के साथ कुराने पाक की तिलावत फ़रमाई ।
और उनके बाद इमाम हुसैन (अ.स ) मस्जिद ए नबवी में गये चिराग़ को रौशन किया हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) की क़ब्र के किनारे बैठ गए और अपने गाल क़ब्र पे रख दिया यह सोंच के की क्या जाने फिर कभी मदीने वापस आना भी हो या नहीं और कहा नाना आपने जिस दीन को फैलाया था उसे उसकी सही हालत में बचाने के लिए मुझे सफर करना होगा । अल्लाह से दुआ कीजेगा की मेरा यह सफर कामयाब हो ।
उसके बाद इमाम हुसैन अपनी माँ जनाब ऐ फातिमा स अ की क़ब्र पे आये और ऐसे आये जैसे कोई बच्चा अपनी माँ के पास भागते हुए आता है और बस चुप चाप बैठ गए और थोड़ी देर के बाद जब वहाँ से जाने लगे तो क़ब्र से आवाज़ आई जाओ बेटा कामयाब रहो और घबराओ मत मैं भी तुम्हारे साथ साथ रहूंगी । उसके बाद यह 28 रजब का ऐतिहासिक सफर आरंभ हुआ और दो मोहर्रम को करबला पहुंचा 10 मोहर्रम को इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने इस्लाम के बचाव में अपनी जान कुर्बान कर दी उनकी यह शहादत कयामत तक याद रखी जाएगी ।
जिसके याद में क्षेत्र के बड़ागांव में इस जुलूस का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता हुसैनी मिशन के सय्यद ज़ीशान हैदर द्वारा की जाती है और कार्यक्रम संयोजक अंजुमन गुंच-ए नासेरुलअजा बड़ागांव की देखरेख में होता है।
जिसमें क्षेत्र के दूरदराज से हजारों जायरीन इमाम हुसैन के ग़ममें शिरकत करते हैं।
आप को बता दें कि जुलूस का आरंभ मौलाना सैयद हैदर अब्बास वाराणसी ने किया जिसके बाद जुलूस प्रति वर्ष की भांति अपने प्राचीन मार्ग से होता हुआ रौजा पंजा-ए-शरीफ में मौलाना अज्मे अब्बास इमामे जुमा बड़ागांव की तकरीर के बाद संपन्न किया गया जिसमें मौलाना सैयद आरज़ू हुसैन,सौकत रिज़वी, मौलाना एजाज मोहसिन,
मौलाना वसी हसन खान फैजाबाद, ने अपने खुसूसी अंदाज में बयान कर लोगों को तारीख के बारे में रूबरू किया जुलूस के दौरान अंजुमन मुहिब्बाने हुसैनी आजमगढ़,अंजुमन जैनुलएबा जौनपुर,जफरिया आजमगढ़,मोईनुल मोमनीन शाहगंज,
गुलशन ए अब्बास शाहगंज,करवाने हैदरी शाहगंज,
हुसैनिया सैदपुर,समेत बड़ागांव की मुकामी अंजूमन ने नौहा मातम किया।

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