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ज़ख्म दिल छिपाकर हॅंसाने चला हूॅं कवि सम्मेलन में वाणी पुत्रों ने बाॅंधी शमा

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सीतापुर।रिपोर्ट राकेश पाण्डेय:सिधौली तहसील क्षेत्र के छत्रपाल बाबा धाम सरांय, रेवरी में चल रहे 16वें रुद्र महायज्ञ एवं भक्ति ज्ञान सम्मेलन के अन्तर्गत विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
   कार्यक्रम की अध्यक्षता बच्चे प्रसाद बाजपेई ने की और साहित्यकार संदीप मिश्र सरस ने मंच संचालन किया। लखनऊ की कवयित्री संध्या त्रिपाठी के शोभित वाणी वन्दना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
    इस पावन अवसर पर किसी ने हॅंसाया, गुदगुदाया तो किसी ने सोये स्वाभिमान को जगाया तो किसी ने कोरे गीली कर दी जिससे श्रोता समाज झूमता दिखाई दिया। ओज कवि केदारनाथ शुक्ल ने पढ़ा, क्या सुरा सुन्दरी के भोगे, श्रम का महत्व बतलायेंगे, चिंगारी से डरने वाले, शोलों में हाथ लगायेंगे। बिसवां से संदीप मिश्र सरस ने पढ़ा रेतीले मौसम में सावन दे जाती है। जीवन को जीने का साधन दे जाती है। आशीष ज़माने के फीके पड़ जाते हैं, अम्मा जब गालों पर चुम्बन दे जाती है।
    कार्यक्रम संयोजक प्रमोद मिश्र पंचमेश ने पढ़ा लगा पहरा हो कितना ही झलक तो मिल ही जाती है। इबादत है अगर सच्ची पलक तो खुल ही जाती है। जमाना अड़चनें बनकर हमेशा सामने आया, छुपाओ मुश्क को कितना ही महक तो मिल ही जाती है। जन कवि देवेन्द्र कश्यप निडर ने पढ़ा - हाथ जोड़कर करूॅं निवेदन इक अभियान चलाना है, करना हो सत्कार किसी का पउवा नहीं पिलाना है। प्रयागराज से पधारे ओज कवि सीताकांत स्वयंभू ने पढ़ा दृष्टि अगर सुंदर हो तो बन जाते भव्य नजारे हैं। राष्ट्र हेतु तन मन धन अर्पित ये कर्तव्य हमारे हैं। लहरपुर के ओज कवि अपूर्व त्रिवेदी ने पढ़ा बीत गए दिन अवसादो के दिन नीरवता के बीते हैं। अपनी संस्कृति पर गर्व हमें हम शीश उठाकर जीते हैं। हास्य कवि लवकुश शुक्ल ने यह कविता पढ़कर ग़दर काट दिया - बुढ़ापे में बाबा गदर काटते हैं। मिश्रिख से आये ओज कवि विनीत तिवारी ने भारत जोड़ो यात्रा पर चुटकी लेते हुए पढ़ा जाति धर्म के आधार पर किए खंड खंड, तोड़ कर जोड़ने से कोई जुडता नहीं। हास्य कवि अमरेन्द्र सिंह चौहान ने पढ़ा गरल कण्ठ में है अधर पे है अमृत, ज़ख्म को छिपाकर हॅंसाने चला हूॅं। महमूदाबाद के कवि मृत्युंजय बाजपेई ने पढ़ा कृपा माँ शारदे कर दो की उर अज्ञान तम हर लो, हमे पुरुषार्थ दो ऐसा विवेकानंद हो जाएं। आयोजक द्वय अवधेश मिश्र व श्रीपति मिश्र ने देवेन्द्र कश्यप "निडर" व प्रमोद मिश्र "पंचमेश" सहित समस्त वाणी पुत्रों को अंग वस्त्र आदि प्रदान कर सम्मानित किया।
          इस मौके पर अनुराग आग्नेय, सती प्रसाद मिश्र, राकेश पाण्डेय, तिरुपति मिश्र, सोनू तिवारी, अभय पाण्डेय, चन्द्रशेखर प्रजापति, लवलेश शर्मा, बृजलाल राजवंशी, गुड्डू पाल सहित अन्य मौजूद रहे।
बिसवां। अखिल भारतीय स्तर पर साहित्य की अलख जगाने वाली प्रतिष्ठित संस्था साहित्य सृजन संस्थान बिसवां सीतापुर ने जनकवि देवेन्द्र कश्यप 'निडर' व साहित्यकार प्रमोद मिश्र पंचमेश को उनकी उल्लेखनीय साहित्यिक सेवाओं के लिए विशेष स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। संस्थाध्यक्ष संदीप मिश्र सरस ने कहा कि देवेन्द्र कश्यप 'निडर' वास्तव में जन कवि हैं क्योंकि उनकी रचनाओं में जनता की भावनाओं का अनुवाद होता है। पर्वत पुरुष दशरथ माॅंझी के विराट जीवन संघर्ष पर केन्द्रित खण्डकाव्य श्रमवीर जिसकी बानगी है।
   अवधी जगत की पत्रिका भाखा के उपसम्पादक भी हैं। प्रमोद मिश्र पंचमेश भी साहित्य के सच्चे पुजारी हैं जिसकी झलक उनकी रचनाधर्मिता में झलकती है।
दैनिक राष्ट्रसाक्षी

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