राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में चल रहा सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान।
सीतापुर। रिपोर्ट राकेश पाण्डेय:राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में चलाए जा रहे क्षय रोगी खोज अभियान के तहत जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों की टीबी एवं एचआईवी जांच की गई। यह जांच स्वास्थ्य विभाग एवं एड्स नियंत्रण सोसायटी की संयुक्त टीम द्वारा की गई।
सीतापुर। रिपोर्ट राकेश पाण्डेय:राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में चलाए जा रहे क्षय रोगी खोज अभियान के तहत जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों की टीबी एवं एचआईवी जांच की गई। यह जांच स्वास्थ्य विभाग एवं एड्स नियंत्रण सोसायटी की संयुक्त टीम द्वारा की गई।
कारागार के समस्त बंदियों की स्क्रीनिंग में तिरपन बंदी ऐसे मिले जिन्हें बीते दो सप्ताह से खांसी आने, लगातार बुखार बना रहने, बलगम में खून आने, रात को अधिक पसीना आने की समस्या थी। इन सभी के बलगम के नमूनों को एकत्र कर जांच के लिए भेजा गया।
इस मौके पर एचआईवी स्क्रीनिंग का भी अभियान चलाया गया। एक सौ उन्यासी बंदियों की एचआईवी जांच की गई। इस जांच में कोई भी बंदी पॉजिटिव नहीं पाया गया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं डीटीओ डॉ. एस.के. शाही ने बताया कि जिन लोगों के बलगम के नमूने जांच को भेजे गए हैं, उनमें यदि किसी को भी टीबी की पुष्टि होती है, तो सम्बन्धित रोगी का तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा।इसके साथ ही रोगी को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पांच सौ रुपए प्रति माह पोषण भत्ता भी दिया जाएगा। टीबी को प्रारम्भिक अवस्था में ही नहीं रोका गया तो यह गम्भीर बन सकती है। इसलिए लक्षण महसूस होते ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए।
टीबी के लक्षणों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि टीबी के लक्षण जैसे कि दो हफ्ते या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना, वजन का घटना व भूख कम लगना,लगातार बुखार रहना, सीने में दर्द होना टीबी रोग के लक्षण हैं। इन लक्षणों के होने पर मरीज को क्षय रोग केन्द्र पर टीबी की जांच करानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि उपचारित मरीज दवा बीच में न छोड़ें।
इस मौके पर कारागार के चिकित्सा अधिकारी डॉ.पीयूष पाण्डेय,राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्य -क्रम समन्वयक आशीष दीक्षित, टीबी एचआईवी समंवयक रमेश मौर्या, पंकज श्रीवास्तव, आशीष टंडन आदि का सराहनीय योगदान रहा।
दैनिक राष्ट्रसाक्षी
इस मौके पर एचआईवी स्क्रीनिंग का भी अभियान चलाया गया। एक सौ उन्यासी बंदियों की एचआईवी जांच की गई। इस जांच में कोई भी बंदी पॉजिटिव नहीं पाया गया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं डीटीओ डॉ. एस.के. शाही ने बताया कि जिन लोगों के बलगम के नमूने जांच को भेजे गए हैं, उनमें यदि किसी को भी टीबी की पुष्टि होती है, तो सम्बन्धित रोगी का तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा।इसके साथ ही रोगी को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पांच सौ रुपए प्रति माह पोषण भत्ता भी दिया जाएगा। टीबी को प्रारम्भिक अवस्था में ही नहीं रोका गया तो यह गम्भीर बन सकती है। इसलिए लक्षण महसूस होते ही इलाज शुरू हो जाना चाहिए।
टीबी के लक्षणों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि टीबी के लक्षण जैसे कि दो हफ्ते या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना, वजन का घटना व भूख कम लगना,लगातार बुखार रहना, सीने में दर्द होना टीबी रोग के लक्षण हैं। इन लक्षणों के होने पर मरीज को क्षय रोग केन्द्र पर टीबी की जांच करानी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि उपचारित मरीज दवा बीच में न छोड़ें।
इस मौके पर कारागार के चिकित्सा अधिकारी डॉ.पीयूष पाण्डेय,राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्य -क्रम समन्वयक आशीष दीक्षित, टीबी एचआईवी समंवयक रमेश मौर्या, पंकज श्रीवास्तव, आशीष टंडन आदि का सराहनीय योगदान रहा।
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