जौनपुर सीएमओ ने जनमानस से की अपील, वर्ष 2027 तक फाइलेरिया मुक्त जनपद की रूपरेखा तैयार जनसंख्या की 10 प्रतिशत आबादी फाइलेरिया परजीवी संक्रमित, आज से घर-घर चलेगा अभियान । मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने जनमानस से अपील की कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान 10 फरवरी से शुरू किया जा रहा है। अभियान में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम घर-घर जाकर लक्षित आबादी को फाइलेरिया से बचाने की दवा अपने सामने खिलाएगी । इसके लिए टीम का सहयोग करना और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना जरूरी है। दवा पूर्ण रूप से सुरक्षित है। अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए समस्त तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं तथा योजना के अनुसार कार्य किया जाएगा।
सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया एक नेग्लेक्टेड ट्रापिकल (उपेक्षित) बीमारी है। इसका संक्रमण क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। रोगी से लेकर स्वस्थ व्यक्ति तक में इसका संक्रमण हो सकता है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि देश की पूरी जनसंख्या के 10 प्रतिशत लोग फाइलेरिया रोग के परजीवी से संक्रमित हैं। कुछ लोगों में रोग के लक्षण दिखाई देते हैं जबकि कुछ में नहीं दिखाई देते। फाइलेरिया की जांच रात के समय होती है। इसलिए बड़े स्तर पर लोगों के रक्त की जांच किया जाना व्यवहारिक नहीं है। किसी व्यक्ति में फाइलेरिया के लक्षण आ जाने के बाद उसका पूर्णतः इलाज संभव नहीं है और अपंगता बनी रहती है। लक्षण दिखने में 5 से 15 साल का समय लगता है। इसलिए बचाव ही सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने बताया कि केंद्र की उच्च स्तरीय कमेटी की सलाह है कि यदि सम्पूर्ण जनसंख्या को वर्ष में एक बार आयु वर्ग के अनुसार डीईसी और एलबेंडाजोल की खुराक लगातार पांच वर्ष तक खिलाई जाए तो फाइलेरिया के संचरण पर नियंत्रण कर लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने समुदाय में परजीवी सूचकांक एक प्रतिशत से कम करने के लिए वर्ष 2027 का लक्ष्य रखा है। यह कार्यक्रम जनपद में वर्ष 2004 से चलाया जा रहा है।
सीएमओ ने कहा कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी जनपद में 10 फरवरी से 27 फरवरी तक घर-घर फाइलेरिया अभियान चलाया जाएगा। इसमें आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा का सेवन कराएंगी। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आठ और नौ फरवरी को फाइलेरिया की टीमें सभी कालेजों में दवा खिला रही हैं। इसकी दवा खाली पेट नहीं खाना चाहिए। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती तथा अत्यधिक बीमार लोगों को दवा नहीं खाना है। यह दवा उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। उन्होंने अपील की है कि अभियान के दौरान दवा सेवन में सहयोग करें। खुद खाएं और दूसरों को भी खाने के लिए प्रेरित करें। स्वास्थ्य टीम के सामने ही दवा खाएं।
सीएमओ ने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए 10 विभागों का सहयोग लिया जा रहा है। जनपद की करीब 52,83,227 जनसंख्या में से लक्षित 44,90,743 को 3,994 टीमें एवं 7,988 ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता) घर-घर जाकर प्रत्येक दिन 125 लाभार्थियों को अपने सामने दवा खिलाएंगे। अभियान सप्ताह में चार दिन सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को चलेगा। बुधवार और शनिवार को छूटे लाभार्थियों को मॉप-अप राउंड चलाकर दवा खिलाई जाएगी। प्रत्येक छह टीम पर एक पर्यवेक्षक रखा गया है जिसके माध्यम से टीमों का पर्यवेक्षण किया जाएगा। कार्यक्रम संचालन के पूर्व की गतिविधियों जैसे अन्तर्विभागीय जनपद स्तरीय समन्वय समिति की बैठक, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, पैरामेडिकल स्टाफ एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर का प्रशिक्षण संपन्न किया जा चुका है। कार्यक्रम के लिए आवश्यक मात्रा में दवा (डीईसी और एलबेंडाजोल), प्रचार सामग्री, लाजिस्टिक्स, बजट आवंटन सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को उपलब्ध करा दिया गया है।
सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया एक नेग्लेक्टेड ट्रापिकल (उपेक्षित) बीमारी है। इसका संक्रमण क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। रोगी से लेकर स्वस्थ व्यक्ति तक में इसका संक्रमण हो सकता है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि देश की पूरी जनसंख्या के 10 प्रतिशत लोग फाइलेरिया रोग के परजीवी से संक्रमित हैं। कुछ लोगों में रोग के लक्षण दिखाई देते हैं जबकि कुछ में नहीं दिखाई देते। फाइलेरिया की जांच रात के समय होती है। इसलिए बड़े स्तर पर लोगों के रक्त की जांच किया जाना व्यवहारिक नहीं है। किसी व्यक्ति में फाइलेरिया के लक्षण आ जाने के बाद उसका पूर्णतः इलाज संभव नहीं है और अपंगता बनी रहती है। लक्षण दिखने में 5 से 15 साल का समय लगता है। इसलिए बचाव ही सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने बताया कि केंद्र की उच्च स्तरीय कमेटी की सलाह है कि यदि सम्पूर्ण जनसंख्या को वर्ष में एक बार आयु वर्ग के अनुसार डीईसी और एलबेंडाजोल की खुराक लगातार पांच वर्ष तक खिलाई जाए तो फाइलेरिया के संचरण पर नियंत्रण कर लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने समुदाय में परजीवी सूचकांक एक प्रतिशत से कम करने के लिए वर्ष 2027 का लक्ष्य रखा है। यह कार्यक्रम जनपद में वर्ष 2004 से चलाया जा रहा है।
सीएमओ ने कहा कि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी जनपद में 10 फरवरी से 27 फरवरी तक घर-घर फाइलेरिया अभियान चलाया जाएगा। इसमें आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा का सेवन कराएंगी। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आठ और नौ फरवरी को फाइलेरिया की टीमें सभी कालेजों में दवा खिला रही हैं। इसकी दवा खाली पेट नहीं खाना चाहिए। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती तथा अत्यधिक बीमार लोगों को दवा नहीं खाना है। यह दवा उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। उन्होंने अपील की है कि अभियान के दौरान दवा सेवन में सहयोग करें। खुद खाएं और दूसरों को भी खाने के लिए प्रेरित करें। स्वास्थ्य टीम के सामने ही दवा खाएं।
सीएमओ ने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए 10 विभागों का सहयोग लिया जा रहा है। जनपद की करीब 52,83,227 जनसंख्या में से लक्षित 44,90,743 को 3,994 टीमें एवं 7,988 ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता) घर-घर जाकर प्रत्येक दिन 125 लाभार्थियों को अपने सामने दवा खिलाएंगे। अभियान सप्ताह में चार दिन सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को चलेगा। बुधवार और शनिवार को छूटे लाभार्थियों को मॉप-अप राउंड चलाकर दवा खिलाई जाएगी। प्रत्येक छह टीम पर एक पर्यवेक्षक रखा गया है जिसके माध्यम से टीमों का पर्यवेक्षण किया जाएगा। कार्यक्रम संचालन के पूर्व की गतिविधियों जैसे अन्तर्विभागीय जनपद स्तरीय समन्वय समिति की बैठक, प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, पैरामेडिकल स्टाफ एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर का प्रशिक्षण संपन्न किया जा चुका है। कार्यक्रम के लिए आवश्यक मात्रा में दवा (डीईसी और एलबेंडाजोल), प्रचार सामग्री, लाजिस्टिक्स, बजट आवंटन सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को उपलब्ध करा दिया गया है।
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