जौनपुर दवा के प्रभाव के प्रति लोगों को किया आश्वस्त डॉक्टरों को बताया भगवान का दूसरा रूप बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी खाई दवा अमर शहीद उमानाथ जिला चिकित्सालय परिसर में शुक्रवार को मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बृजेश कुमार सिंह प्रिंशू ने स्वयं फाइलेरिया से बचाव की दवा खाकर राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम एमडीए अभियान का शुभारंभ किया। इसके साथ ही अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ राजीव कुमार, डॉ एसपी मिश्रा, जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) डॉ बीपी सिंह, जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) सत्यव्रत त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी दवा खाई।
एमएलसी बृजेश सिंह ने एमडीए अभियान की सफलता के लिए सभी से सहभागिता की अपील की । उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिलाएँगी। अभियान पर विश्वास जताते हुए डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप बताया। उन्होंने कहा कि बहुत शोध करने के बाद दवा के प्रभाव के प्रति आश्वस्त होकर ही दवा सेवन के लिए आती है। कोविड के दौर में भी डॉक्टरों ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। सभी की सलामती के लिए दिन-रात काम किया है। इसलिए अभियान के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के सामने दवा का सेवन कर उन्हें सहयोग प्रदान करें।
इस दौरान डीएमओ डॉ बीपी सिंह ने विस्तार से अभियान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया एक सर्वे में जनपद के 5,500 के करीब लोगों में फाइलेरिया (लिम्फोडिमा) के लक्षण पाए गए जबकि 1,500 लोग हाइड्रोसील के रोगी मिले। इस बीमारी को समाप्त करने के लिए वर्ष 2027 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके 2004 से ही अभियान चल रहा है। इस समय जनपद में फाइलेरिया परजीवी सूचकांक (पैरासाइट लोड) 10 प्रतिशत है जिसे 2027 तक घटाकर एक प्रतिशत पर लाना है। परजीवी सूचकांक कम हो जाने पर उसके संक्रमण की संभावना कम हो जाएगी। इसके लिए हर 25 घर और 125 लाभार्थी पर एक टीम बनाई गई है। इस तरह से जनपद में कुल 3,900 टीमें हैं जिनमें 7,800 सदस्य हैं। अभियान के दौरान घुमंतू परिवारों को भी दवा खिलाई जाएगी। अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लाभार्थियों को अपने सामने दवा खिलाएंगी। हर टीम पर एक सुपरवाइजर रखा गया है जो उस टीम की निगरानी करनी है।
उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने निर्देशन पर अभियान से पहले आठ और नौ फरवरी को विद्यालयों में जाकर बच्चों को दवा खिलाई गई । इसके पीछे सोच अभियान के दौरान भीड़ को काम करना थी । आठ फरवरी को 20 हजार बच्चों को दवा खिलाई गई। उन्होंने बताया कि जनपद में 6.5 लाख से आठ लाख के बीच बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य है लेकिन विद्यालयों में परीक्षा चल रही है। इण्टरमीडिएट के बच्चे बोर्ड परीक्षाओं की छुट्टी पर हैं। फिर भी आशा है कि अभियान के दौरान 4.5 लाख से ज्यादा बच्चों को दवा खिला ली जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह दवा शत-प्रतिशत सुरक्षित है। दवा का सेवन करने के बाद हमारी रैपिड रेस्पॉन्स टीम (आरआरटी) लाभार्थी पर निगाह रख रही है। एक दो घंटे वेट एंड वाच की नीति अपना रही है। किसी को कोई समस्या आने पर तुरंत निदान कर रही है। उन्होंने बताया कि दवा खाने के बाद किसी को चक्कर आना, उल्टी होना, जी मिचलाना जैसी दिक्कत हो रही है तो इसका मतलब उसके शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे लोगों के लिए यह दवा बहुत जरूरी है। यह दवा जाकर उस परजीवी को मारती है। अगर किसी को इस तरह के साइड इफेक्ट की आशंका है तो वह एंटीबायोटिक दवाएं ले सकते हैं। लगातार पांच वर्ष तक वर्ष में एक बार दवा खा कर कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया से सुरक्षित हो सकता है।
बोले लाभार्थी - बरसठी ब्लाक अंतर्गत झिंगुरिया निवासी अर्जुन प्रजापति (70) को उनके घर पहुंच कर आया कार्यकर्ता सरिता देवी ने दवा खिलाई। उन्हें दवा मिलने का इंतजार था। दवा खाने का उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। वहीं भोपतपुर के लकी पटेल (15) की मां गायत्री देवी स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। उन्होंने भी अभियान के दौरान दवा खाई। वह स्वस्थ हैं। परिवार के लोग स्वास्थ्य विभाग में होने के कारण उन्हें दवा की अहमियत मालूम है। इसलिए वह पांच वर्ष लगातार दवा खाएंगे।
एमएलसी बृजेश सिंह ने एमडीए अभियान की सफलता के लिए सभी से सहभागिता की अपील की । उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिलाएँगी। अभियान पर विश्वास जताते हुए डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप बताया। उन्होंने कहा कि बहुत शोध करने के बाद दवा के प्रभाव के प्रति आश्वस्त होकर ही दवा सेवन के लिए आती है। कोविड के दौर में भी डॉक्टरों ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। सभी की सलामती के लिए दिन-रात काम किया है। इसलिए अभियान के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के सामने दवा का सेवन कर उन्हें सहयोग प्रदान करें।
इस दौरान डीएमओ डॉ बीपी सिंह ने विस्तार से अभियान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया एक सर्वे में जनपद के 5,500 के करीब लोगों में फाइलेरिया (लिम्फोडिमा) के लक्षण पाए गए जबकि 1,500 लोग हाइड्रोसील के रोगी मिले। इस बीमारी को समाप्त करने के लिए वर्ष 2027 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके 2004 से ही अभियान चल रहा है। इस समय जनपद में फाइलेरिया परजीवी सूचकांक (पैरासाइट लोड) 10 प्रतिशत है जिसे 2027 तक घटाकर एक प्रतिशत पर लाना है। परजीवी सूचकांक कम हो जाने पर उसके संक्रमण की संभावना कम हो जाएगी। इसके लिए हर 25 घर और 125 लाभार्थी पर एक टीम बनाई गई है। इस तरह से जनपद में कुल 3,900 टीमें हैं जिनमें 7,800 सदस्य हैं। अभियान के दौरान घुमंतू परिवारों को भी दवा खिलाई जाएगी। अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लाभार्थियों को अपने सामने दवा खिलाएंगी। हर टीम पर एक सुपरवाइजर रखा गया है जो उस टीम की निगरानी करनी है।
उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने निर्देशन पर अभियान से पहले आठ और नौ फरवरी को विद्यालयों में जाकर बच्चों को दवा खिलाई गई । इसके पीछे सोच अभियान के दौरान भीड़ को काम करना थी । आठ फरवरी को 20 हजार बच्चों को दवा खिलाई गई। उन्होंने बताया कि जनपद में 6.5 लाख से आठ लाख के बीच बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य है लेकिन विद्यालयों में परीक्षा चल रही है। इण्टरमीडिएट के बच्चे बोर्ड परीक्षाओं की छुट्टी पर हैं। फिर भी आशा है कि अभियान के दौरान 4.5 लाख से ज्यादा बच्चों को दवा खिला ली जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह दवा शत-प्रतिशत सुरक्षित है। दवा का सेवन करने के बाद हमारी रैपिड रेस्पॉन्स टीम (आरआरटी) लाभार्थी पर निगाह रख रही है। एक दो घंटे वेट एंड वाच की नीति अपना रही है। किसी को कोई समस्या आने पर तुरंत निदान कर रही है। उन्होंने बताया कि दवा खाने के बाद किसी को चक्कर आना, उल्टी होना, जी मिचलाना जैसी दिक्कत हो रही है तो इसका मतलब उसके शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे लोगों के लिए यह दवा बहुत जरूरी है। यह दवा जाकर उस परजीवी को मारती है। अगर किसी को इस तरह के साइड इफेक्ट की आशंका है तो वह एंटीबायोटिक दवाएं ले सकते हैं। लगातार पांच वर्ष तक वर्ष में एक बार दवा खा कर कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया से सुरक्षित हो सकता है।
बोले लाभार्थी - बरसठी ब्लाक अंतर्गत झिंगुरिया निवासी अर्जुन प्रजापति (70) को उनके घर पहुंच कर आया कार्यकर्ता सरिता देवी ने दवा खिलाई। उन्हें दवा मिलने का इंतजार था। दवा खाने का उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। वहीं भोपतपुर के लकी पटेल (15) की मां गायत्री देवी स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। उन्होंने भी अभियान के दौरान दवा खाई। वह स्वस्थ हैं। परिवार के लोग स्वास्थ्य विभाग में होने के कारण उन्हें दवा की अहमियत मालूम है। इसलिए वह पांच वर्ष लगातार दवा खाएंगे।
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