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बेहोश कर पकड़ा गया घर में घुसा भालू, दो दिनों से खौफ में थे ग्रामीण

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मिर्जापुर।उत्तर प्रदेश मिर्जापुर जिले के जिगना थाना क्षेत्र के बघेड़ाकला गांव में एक घर में घुसे भालू को पकड़़ने के लिए वन विभाग की टीम को काफी हाथ पांव मारना पड़ा।दूसरे दिन गुरुवार को कानपुर से आई टीम ने घंटों कड़ी मशक्कत के बाद भालू को बेहोश कर पकड़ा।दो दिनों से भालू से ग्रामीणों में खौफ था। बुधवार को भालू ने सात लोगों को घायल किया था।
मिली जानकारी के अनुसार जंगल से भटककर भालू बुधवार की सुबह नेगुराबान सिंह गांव में पहुंचा था।ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर वन रक्षक अवधेश कुमार यादव, पिंटू लाल आदि वन विभाग की टीम पहुंची।वन विभाग की टीम नेगुराबान सिंह गांव पहुंची तो भालू अरहर के खेत में था। तीन घंटे बाद वह निकल कर यादवपुर पहुंच गया। वहां पर 65 वर्षीय सियाराम,16 वर्षीय तानिया पुत्री नाथे,18 वर्षीय नपीता पुत्री भारत को घायल करते हुए बिहसड़ा कला के मुराजपुर गांव पहुंच गया। वहां पर 40 वर्षीय सुरेश पुत्र बनधारी निवासी मुराजपुर, 30 वर्षीय विकास पुत्र इंद्रजीत,27 वर्षीय विनय पुत्र शिवरक्षा निवासी रूदईपुर,50 वर्षीय पार्वती मौर्या निवासी बिहसड़ा कोइरान को घायल करते हुए बघेड़ा कला गांव पहुंचा। वहां पर तेजू बिंद के मकान में घुस गया।
सूचना पर मुख्य वन संरक्षक आरसी झा, डीएफओ अरविंद राज मय दलबल के साथ पहुंचे और भालू को पकड़ने के लिए जुट गए।रात लगभग एक बजे भालू पिंजड़ा में किसी तरह से आया भी तो उछल कूद के चलते पिंजड़ा क्षतिग्रस्त हो गया। भालू फिर से भागकर घर में बने टांड़ पर जाकर बैठ गया।
सुरक्षा को देखते हुए बाहर से घर का दरवाजा बंद कर पूरी रात वनकर्मी मौके पर डटे रहे। गुरुवार सुबह डीएफओ अरविंद राज मिश्र ने कानपुर चिड़ियाघर से डाॅ. मो. नासिर को टीम का सहारा लिया। डाॅ.नासिर की टीम ने गुरुवार दोपहर किसी तरह दीवार तोड़कर भालू को बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बाद अपने कब्जे लिया। प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा भालू को हलिया के जंगल में ले जाकर छोड़ा जाएगा।
घर में घुसे भालू न पकड़े जाने पर गुरुवार को गृहस्वामी के बच्चे भूख से परेशान रहे। जिस घर में भालू कैद था उसी घर में राशन पानी रखा था। भोजन की व्यवस्था न होने पर घर की महिलाएं आक्रोशित हो उठी। महिलाओं के साथ काफी संख्या में आक्रोशित ग्रामीणों ने वन कर्मियों खूब खरीखोटी सुनाई। मौके की नजाकत भांप मौके पर मौजूद प्रभागीय वनाधिकारी अरविंद राज मिश्र ने अपनी जेब से पीड़ित परिवार को तत्काल एक हजार रुपये भोजन आदि व्यवस्था के लिए दिया गया। तब जाकर लोगों का गुस्सा ठंडा पड़ा।

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