हमीरपुर:रिपोर्ट फ़रीद ख़ान:किसान राम नरेश…1 महीने बाद छोटी बेटी की शादी थी। बस अब उसको इंतजार था तो फसल कटने का। फसल बेचकर मिलने वाले पैसों से वो अपनी बेटी की शादी का सारा इंतजाम करने वाला था।लेकिन बारिश ने पिता राम नरेश की सारी उम्मीदें तोड़ दीं। बारिश से उसकी पकी हुई गेहूं और सरसों की फसल खराब हो गई। वो अपनी डूबी फसल को बचाने की नाकामयाब कोशिश की। थक हारकर किसान ने अपने ही खेत में जाकर फांसी लगा ली। किसान के जाने के बाद अब उसके परिवार के पास कुछ भी नहीं बचा है।
ऐसी घटनाओं के बीच दैनिक भास्कर की टीम हमीरपुर में किसान रामनरेश के घर पहुंची। जहां हमें उनका परिवार मिला। सभी लोग रामनरेश की मौत से परेशान हैं। परिवार का कहना है, पैसों की कमी से बेटी की शादी टूटे ये बात कभी वो बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसलिए वो हम लोगों को ऐसी हालत में छोड़कर चले गए।रामनरेश के बेटे मनोज ने हमें बताया, 24 मार्च को मेरे पिता मुझे खेत में पेड़ से लटके मिले थे। जब से उनकी फसल खराब हुई थी वो बहुत परेशान रहने लगे थे। हम लोग उनको बहुत समझाते थे, लेकिन वो हमेशा यही बोलते थे कि बेटी की शादी टूट गई। लड़के वालों ने मना कर दिया है।उनका कहना है, वो लोग शादी अच्छे से करना चाहते हैं। जब पैसा ही नहीं
है तो कहां से करूं इंतजाम? अब गांव में क्या मुंह दिखाएंगे? इतनी उम्मीद से तो बेटी की शादी कर रहा था। अब घर बैठी रहेगी तो सब लोग मुझे थूकेंगे। बेटे ने बताया, मेरे पिता दीदी को देखकर रोते रहते थे। वो कहते थे, भगवान ने उनकी बेटी के साथ बहुत गलत किया है।सुरेश आगे बताता है, 24 मार्च को किसी ने हम लोगों को घर आकर बताया कि मेरे पिता को यही चिंता खाई जा रही थी। वो हम लोगों को कैसे पालते, कैसे अपनी बेटी की शादी करते इसी चिंता में वो हम लोगों को छोड़कर चले गए। अब हमारा कोई सहारा नहीं बचा है। हम लोग कैसे क्या करेंगे ये हमें भी नहीं पता है।इस पूरे मामले को लेकर एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार बताते हैं कि आपदा में फसल बर्बाद होने का पहले मानक 50 फीसदी तय था। इसे सरकार ने घटाकर 33 फीसदी कर दिया है। जिस किसान की फसल 33 फीसदी बर्बाद हुई है उसे मुआवजा देने का प्रावधान है।
डीआरएस न्यूज़ नेटवर्क
है तो कहां से करूं इंतजाम? अब गांव में क्या मुंह दिखाएंगे? इतनी उम्मीद से तो बेटी की शादी कर रहा था। अब घर बैठी रहेगी तो सब लोग मुझे थूकेंगे। बेटे ने बताया, मेरे पिता दीदी को देखकर रोते रहते थे। वो कहते थे, भगवान ने उनकी बेटी के साथ बहुत गलत किया है।सुरेश आगे बताता है, 24 मार्च को किसी ने हम लोगों को घर आकर बताया कि मेरे पिता को यही चिंता खाई जा रही थी। वो हम लोगों को कैसे पालते, कैसे अपनी बेटी की शादी करते इसी चिंता में वो हम लोगों को छोड़कर चले गए। अब हमारा कोई सहारा नहीं बचा है। हम लोग कैसे क्या करेंगे ये हमें भी नहीं पता है।इस पूरे मामले को लेकर एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार बताते हैं कि आपदा में फसल बर्बाद होने का पहले मानक 50 फीसदी तय था। इसे सरकार ने घटाकर 33 फीसदी कर दिया है। जिस किसान की फसल 33 फीसदी बर्बाद हुई है उसे मुआवजा देने का प्रावधान है।
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