संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का रसपान हेतू भक्तों का सैलाब उमड़ा अंतिम दिन
प्रयागराज:रिपोर्ट रिवेंदर सिंह: शंकरगढ़ नारीबारी कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को भी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब नारीबारी कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।कथावाचक पं.अभिषेक कृष्णम हरिकिंकर जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिवस समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें मुख्य यज्ञमान विजय विहारी श्रीवास्तव, फूलकुमारी श्रीवास्तव,दीपक श्रीवास्तव आदि के साथ क्षेत्रीय भक्तों को सुनाई।इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए। कथा समापन के दौरान अभिषेक कृष्णम् हरिकिंकर ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश देते हुए कहा जिस प्रकार जगत का राजा श्री कृष्ण अपने परममित्र के बारें मे आने की सूचना सुनकर सुध-बुध खोकर मित्र से मिलने दौड़ पड़े वही सच्चा भाव है। ब्राम्हण मित्र का पत्नी सहित पैर धुलकर अपने राज्यसिंहासन पर विराजमान कर महल मे चरण जल से सिंचित किया वह भाव अब नही दिखता इसी लिए सच्ची मित्रता दुर्लभ हो चली। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है। कथा का समापन के बाद शनिवार को भंडारे का आयोजन किया गया है। आचार्य राजीव तिवारी,आचार्य राकेश, पं.शिवशंकर आदि के साथ कथा श्रवण करने शरद कुमार गुप्ता,दिलीप कुमार चतुर्वेदी, छत्रपाल सिंह,पंकज श्रीवास्तव, राजाराम चतुर्वेदी,दिवाकर साहू,पंकेस चतुर्वेदी,चिंतामणि मिश्र,साक्षी चतुर्वेदी,सुभाष चतुर्वेदी, विधाकांत शुक्ला,लाल चन्द्र शुक्ल आदि के साथ भारी संख्या में नर-नारी बच्चे बुजुर्ग कथा श्रवण कर आरती कर प्रसाद ग्रहण कर अपने अपने गंतव्य को प्रस्थान किए। संगीतमय भजनों ने भक्तो के नयनो से भाव से अश्रु की धाराएं प्रवाहित होते देखी गई।
प्रयागराज:रिपोर्ट रिवेंदर सिंह: शंकरगढ़ नारीबारी कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को भी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का रसपान पाने के लिए भक्तों का सैलाब नारीबारी कथा स्थल पर उमड़ पड़ा।कथावाचक पं.अभिषेक कृष्णम हरिकिंकर जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिवस समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया। जिसमें प्रभु कृष्ण के 16 हजार शादियां के प्रसंग के साथ, सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें मुख्य यज्ञमान विजय विहारी श्रीवास्तव, फूलकुमारी श्रीवास्तव,दीपक श्रीवास्तव आदि के साथ क्षेत्रीय भक्तों को सुनाई।इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए। कथा समापन के दौरान अभिषेक कृष्णम् हरिकिंकर ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश देते हुए कहा जिस प्रकार जगत का राजा श्री कृष्ण अपने परममित्र के बारें मे आने की सूचना सुनकर सुध-बुध खोकर मित्र से मिलने दौड़ पड़े वही सच्चा भाव है। ब्राम्हण मित्र का पत्नी सहित पैर धुलकर अपने राज्यसिंहासन पर विराजमान कर महल मे चरण जल से सिंचित किया वह भाव अब नही दिखता इसी लिए सच्ची मित्रता दुर्लभ हो चली। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है। कथा का समापन के बाद शनिवार को भंडारे का आयोजन किया गया है। आचार्य राजीव तिवारी,आचार्य राकेश, पं.शिवशंकर आदि के साथ कथा श्रवण करने शरद कुमार गुप्ता,दिलीप कुमार चतुर्वेदी, छत्रपाल सिंह,पंकज श्रीवास्तव, राजाराम चतुर्वेदी,दिवाकर साहू,पंकेस चतुर्वेदी,चिंतामणि मिश्र,साक्षी चतुर्वेदी,सुभाष चतुर्वेदी, विधाकांत शुक्ला,लाल चन्द्र शुक्ल आदि के साथ भारी संख्या में नर-नारी बच्चे बुजुर्ग कथा श्रवण कर आरती कर प्रसाद ग्रहण कर अपने अपने गंतव्य को प्रस्थान किए। संगीतमय भजनों ने भक्तो के नयनो से भाव से अश्रु की धाराएं प्रवाहित होते देखी गई।
डीआरएस न्यूज नेटवर्क
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