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अखिलेश ने राजधर्म निभाया होता तो प्रदेश योगी के जंगलराज में जीने को मजबूर नहीं होता

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लखनऊ अतीक अहमद और अशरफ की हत्या नहीं हुई है. क़ानून के राज की हत्या हुई है. किसी भी सरकार को कानून के हिसाब से शासन करने के लिए लोग सत्ता सौंपते हैं. इस ज़िम्मेदारी में विफल होने पर सरकार बर्खास्त हो जानी चाहिए. आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति शासन का प्रावधान ऐसी स्थितियों के लिए ही संविधान में किया गया है ये बातें साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 93 वीं कड़ी में अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने की.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आज प्रदेश जिस तरह कानून के राज को खत्म होते हुए देखने को मजबूर है इसके लिए अखिलेश यादव की पिछली सरकार भी ज़िम्मेदार है. जिन्होंने खुद स्वीकार किया था कि मुख्यमंत्री रहते हुए उनके सामने योगी आदित्यनाथ के अपराधों की फाइल आई थी लेकिन इन्होंने कार्यवाई नहीं की थी. अगर मुख्यमंत्री का राजधर्म अखिलेश यादव ने निभाया होता तो आज योगी जी को जेल गए 6- 7 साल हो गए होते और प्रदेश ऐसे कानून विरोधी मुख्यमन्त्री को नहीं झेल रहा होता.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि योगी सरकार जाति और धर्म देखकर कार्यवाई कर रही है. इस सरकार में सबसे ज़्यादा पिछड़ों, अति पिछड़ों, ब्राह्मणों और मुसलमानों का फ़र्ज़ी एनकाउंटर हुआ है. ये सभी उत्पीड़ित वर्ग अब कांग्रेस के साथ आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अजय सिंह बिष्ट जी के सजातीय लोग गांव-गांव में कमज़ोर तबकों की ज़मीने क़ब्ज़ा कर रहे हैं. दलितों की ज़मीनों पर उन्हें क़ब्ज़ा दिलाने के लिए कांग्रेस द्वारा बनाये गए उस क़ानून को भी बदल दिया गया है जिसमें दलितों की ज़मीन खरीदने के लिए डीएम की संस्तुति की ज़रूरत थी. भाजपा सरकार दलितों और पिछड़ों को फिर से प्राचीन वैदिक युग में ले जाना चाहती है.

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