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डी-कंपनी के संपर्क में मुख्तार की मदद से आया अतीक असद को पुणे में छिपाने में जानें कैसे मिली अंडरवर्ल्ड से मदद

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प्रयागराज।देश का बहुचर्चित उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का उमेश पाल हत्याकांड के बाद 25 दिनों तक माफिया अतीक अहमद का बेटा असद अहमद प्रयागराज से कानपुर,कानपुर से नोएडा, नोएडा से दिल्ली, दिल्ली से अजमेर,अजमेर से नासिक, नासिक से पुणे फरारी काटता रहा,लेकिन यूपी एसटीएफ ने गुरुवार को झांसी में एनकाउंटर में मार गिराया। इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के संगम विहार में रहने में असद को एक नेता ने मदद की।मगर यहां भी असद खुद को सुरक्षित महसूस नहीं किया और वह 14 मार्च को अजमेर चला गया।इसके बाद असद को छुपाने के लिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी के सदस्य अबू सलेम के करीबियों ने मदद करनी शुरू की।
असद जब अजमेर में था तब उसे बरेली सेंट्रल जेल से चाचा अशरफ ने फेसटाइम ऐप के जरिए संपर्क करते हुए नासिक निकल जाने के लिए कहा।बड़ा सवाल यह है कि माफिया अतीक अहमद का डी कंपनी से संपर्क कैसे हुआ।अबू सलेम के करीबियों की मदद लेने में उस तक पहुंच बनाने का जरिया जो था उसका नाम अब खुल कर सामने आ रहा है।
डी कंपनी का सदस्य डॉन अबू सलेम उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले का रहने वाला है।अबू सलेम से माफिया अतीक अहमद का कनेक्शन कोई चौंकाने वाली न‌ई बात नहीं है।मगर अब इस कनेक्शन के बीच की कड़ी सामने आ गई है,जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक पुलिस पूछताछ में अतीक ने यह बताया है कि डी गैंग से संपर्क करने में उसकी मदद मुख्तार अंसारी ने की थी।
मुख्तार अंसारी की मदद से अतीक अहमद का दाऊद इब्राहिम गैंग से संपर्क होने के बाद अतीक गैंग ने पाकिस्तान से हथियार मंगवाए। असद और उसके साथ शूटर गुलाम के एनकाउंटर में कई विदेशी हथियार बरामद हुए हैं।
अतीक ने पूछताछ में यह भी खुलासा किया है कि उसे जेल में रहकर बाहर के लोगों से संपर्क करने में मोबाइल फोन और सिमकार्ड कैसे उपलब्ध करवाए गए।अतीक ने उस सरकारी अधिकारी का नाम भी बता दिया है,जिसकी मदद से उस तक मोबाइल फोन और सिमकार्ड पहुंचाए गए।अतीक ने बताया है कि बरेली जेल में बंद उसके भाई अशरफ को शाइस्ता परवीन ने मोबाइल और सिमकार्ड पहुंचाए।
अब एक और नई जानकारी यह सामने आ रही है कि पुणे में असद और शूटर गुलाम को छुपाने में ना सिर्फ अबू सलेम के करीबियों ने मदद की थी बल्कि माफिया अतीक ने पूर्व में सांसद रहे एक बड़े नेता से भी संपर्क किया था।अबू सलेम से अतीक के भाई अशरफ के अच्छे संबंधों की वजह से पुणे में असद को छुपने का ठिकाना मिल सका।
अबू सलेम फिलहाल मुंबई बम धमाके के मामले में जेल में है। अबू सलेम का नेटवर्क अभी भी महाराष्ट्र में मजबूत है। इस मामले में अबू सालेम के पुणे में जिन करीबी लोगों ने असद को छुपने में मदद की, उनकी पहचान और तलाश शुरू है।

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