जब ददुआ को नहीं छोड़ा तो अतीक का बेटा क्या चीज है STF चीफ अमिताभ यश से थर-थर कांपते हैं अपराधी
उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी और माफिया अतीक अहमद का बेटा असद एक अन्य साथी गुलाम के साथ यूपी एसटीएफ के एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। दोनों को झांसी में मार गिराया गया। दोनों पर ही पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। असद और गुलाम को 'मिट्टी में मिलाने' वाली यूपी एसटीएफ चर्चा में आ गई है। सबसे ज्यादा चर्चा यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश की हो रही है, जिन्हें एनकाउंटर स्पेशिलिस्ट भी कहा जाता है। एडीजी अमिताभ यश ने अपने करियर में अब तक 150 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं और एक से बढ़कर एक दुर्दांत अपराधियों को ढेर कर दिया है। चंबल के बीहड़ों में दशकों तक दहशत फैलाने वाले डाकू ददुआ और ठोकिया को मार गिराने का क्रेडिट भी अमिताभ यश को ही जाता है।
कौन हैं यूपी एसटीएफ चीफ अमिताभ यश?
बिहार के भोजपुर जिले से आने वाले अमिताभ यश साल 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनका जन्म 11 अप्रैल 1971 को हुआ भोजपुर में हुआ था। एक जनवरी, 2021 को उन्हें यूपी एसटीएफ में एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर प्रमोट किया गया। वे अब तक यूपी, मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई एनकाउंटर ऑपरेशंस को अंजाम दे चुके हैं। इसके अलावा, कुछ साल पहले बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को एनकाउंटर में ढेर किए जाने के पीछे भी यूपी एसटीएफ की टीमें ही शामिल थीं।
जब खूंखार डाकू ददुआ को किया ढेर
मई, 2007 में जब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार आई, तब अमिताभ यश को एसटीएफ का एसएसपी बनाया गया। उन पर चंबल के बीहड़ों पर दशकों से दहशत फैलाने वाले डाकुओं को मार गिराने की जिम्मेदारी थी। शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ को पकड़ने के लिए एसटीएफ ने कैंपेन भी चलाया। कई महीनों की मेहनत के बाद अमिताभ यश ने आखिरकार ददुआ को मार गिराने में सफलता पा ली। अमिताभ यश और तत्कालीन एडिशनल एसपी अनंत देव तिवारी के नेतृत्व में 22 जुलाई 2007 में यूपी एसटीएफ के 22 जवानों की टीम ने मिलकर ददुआ को ढेर कर दिया। ददुआ ने चित्रकूट, बुंदेलखंड आदि के इलाके में तीन दशकों से अधिक समय तक दहशत दिखाई। इस दौरान उसपर लूट, डकैती, हत्या, किडनैपिंग जैसे 250 से ज्यादा केस दर्ज किए गए थे।
पिता की मौत का बदला लेने के लिए डाकू बना था ददुआ
यूपी के चित्रकूट के देवकली गांव का रहने वाला ददुआ अपने पिता का अपमान लेने के लिए डाकू बन गया। कहा जाता है कि उसके पिता को कुछ लोगों ने गांव में नंगा करके घुमाया। इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। यह सब देखने के बाद ददुआ ने पिता का अपमान लेने का फैसला लिया। वह आगे चलकर राजा रागोली गैंग का सदस्य बन गया। 80 दशक के मध्य तक आते-आते ददुआ ने अपना गैंग बना लिया, जिसके बाद उसकी दशहत और बढ़ गई। उसने कई मासूम लोगों की हत्या कर दी। यहां तक कि एक बार एक गांव में ही आग लगा दी। ददुआ के परिवार की बात करें तो लोग राजनीति से भी जुड़े हुए हैं। उसकी मौत के बाद उसका बेटा वीर सिंह पटेल कारवी पंचायत का चेयरमैन बना और फिर बाद में चित्रकूट से साल 2012 से 2017 के बीच विधायक बना। उसकी बेटी देवी पटेल फतेहपुर जिले में ब्लॉक प्रमुख रही। वहीं, उसके भाई बाल कुमार पटेल साल 2009 में मिर्जापुर से लोकसभा का सांसद रहे। एक भतीजा राम सिंह पटेल भी सपा से विधायक थे।
उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी और माफिया अतीक अहमद का बेटा असद एक अन्य साथी गुलाम के साथ यूपी एसटीएफ के एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। दोनों को झांसी में मार गिराया गया। दोनों पर ही पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। असद और गुलाम को 'मिट्टी में मिलाने' वाली यूपी एसटीएफ चर्चा में आ गई है। सबसे ज्यादा चर्चा यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश की हो रही है, जिन्हें एनकाउंटर स्पेशिलिस्ट भी कहा जाता है। एडीजी अमिताभ यश ने अपने करियर में अब तक 150 से ज्यादा एनकाउंटर किए हैं और एक से बढ़कर एक दुर्दांत अपराधियों को ढेर कर दिया है। चंबल के बीहड़ों में दशकों तक दहशत फैलाने वाले डाकू ददुआ और ठोकिया को मार गिराने का क्रेडिट भी अमिताभ यश को ही जाता है।
कौन हैं यूपी एसटीएफ चीफ अमिताभ यश?
बिहार के भोजपुर जिले से आने वाले अमिताभ यश साल 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनका जन्म 11 अप्रैल 1971 को हुआ भोजपुर में हुआ था। एक जनवरी, 2021 को उन्हें यूपी एसटीएफ में एडिशनल डायरेक्टर जनरल के पद पर प्रमोट किया गया। वे अब तक यूपी, मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई एनकाउंटर ऑपरेशंस को अंजाम दे चुके हैं। इसके अलावा, कुछ साल पहले बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को एनकाउंटर में ढेर किए जाने के पीछे भी यूपी एसटीएफ की टीमें ही शामिल थीं।
जब खूंखार डाकू ददुआ को किया ढेर
मई, 2007 में जब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार आई, तब अमिताभ यश को एसटीएफ का एसएसपी बनाया गया। उन पर चंबल के बीहड़ों पर दशकों से दहशत फैलाने वाले डाकुओं को मार गिराने की जिम्मेदारी थी। शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ को पकड़ने के लिए एसटीएफ ने कैंपेन भी चलाया। कई महीनों की मेहनत के बाद अमिताभ यश ने आखिरकार ददुआ को मार गिराने में सफलता पा ली। अमिताभ यश और तत्कालीन एडिशनल एसपी अनंत देव तिवारी के नेतृत्व में 22 जुलाई 2007 में यूपी एसटीएफ के 22 जवानों की टीम ने मिलकर ददुआ को ढेर कर दिया। ददुआ ने चित्रकूट, बुंदेलखंड आदि के इलाके में तीन दशकों से अधिक समय तक दहशत दिखाई। इस दौरान उसपर लूट, डकैती, हत्या, किडनैपिंग जैसे 250 से ज्यादा केस दर्ज किए गए थे।
पिता की मौत का बदला लेने के लिए डाकू बना था ददुआ
यूपी के चित्रकूट के देवकली गांव का रहने वाला ददुआ अपने पिता का अपमान लेने के लिए डाकू बन गया। कहा जाता है कि उसके पिता को कुछ लोगों ने गांव में नंगा करके घुमाया। इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई। यह सब देखने के बाद ददुआ ने पिता का अपमान लेने का फैसला लिया। वह आगे चलकर राजा रागोली गैंग का सदस्य बन गया। 80 दशक के मध्य तक आते-आते ददुआ ने अपना गैंग बना लिया, जिसके बाद उसकी दशहत और बढ़ गई। उसने कई मासूम लोगों की हत्या कर दी। यहां तक कि एक बार एक गांव में ही आग लगा दी। ददुआ के परिवार की बात करें तो लोग राजनीति से भी जुड़े हुए हैं। उसकी मौत के बाद उसका बेटा वीर सिंह पटेल कारवी पंचायत का चेयरमैन बना और फिर बाद में चित्रकूट से साल 2012 से 2017 के बीच विधायक बना। उसकी बेटी देवी पटेल फतेहपुर जिले में ब्लॉक प्रमुख रही। वहीं, उसके भाई बाल कुमार पटेल साल 2009 में मिर्जापुर से लोकसभा का सांसद रहे। एक भतीजा राम सिंह पटेल भी सपा से विधायक थे।
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