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कब तक चलता रहेगा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी पर्चे पर लिखकर बाहर की दवा लेने का सिलसिला

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आजमगढ़ जनपद के अंतिम  पश्चिमी छोर पर स्थित पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉक्टरों के द्वारा सरकारी पर्चे पर बाहर की फर्जी दवा और फर्जी एक्सरे सेंटर तथा फर्जी चल रहे पैथोलॉजी सेंटरों पर गरीब जनता को जबरन दवा लेने के लिए मजबूर किया जाता है मीडिया के द्वारा पूछे जाने पर पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक का कहना है कि हमारे यहां का एक्सरे खराब हो चुका है इसलिए हम बाहर के एक्सरे सेंटर पर मरीज को भेजते हैं जबकि पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का यह मामला कई बार आला अधिकारियों के पास पहुंच चुका है लेकिन आला अधिकारी अपने कान में रुई डाल कर सोए रहते हैं इनको न सरकार का कोई आदेश का भय है और ना ही जनता का कोई ख्याल है आम जनता का कहना है कि हम लोग मजबूर हैं किससे शिकायत करने जाएं जिससे शिकायत करते हैं वही इसमें मिला हुआ है और शिकायत करने के बाद कार्रवाई नहीं की जाती है बल्कि शिकायतकर्ता को ही फोन कर  के निराश कर दिया जाता है और धमकी दे दी जाती है कि दोबारा इस  अस्पताल में दवा लेने के लिए मत आना और तुम्हें दवा नहीं मिलेगी ऐसा एक मामला सत्तार पुर ग्राम सभा के श्रीपत राजभर जिसकी दवा 2 हफ्ते से टीवी की चल रही थीऔर  दवा खत्म होने के बाद जब वह हॉस्पिटल दवा लेने के लिए पहुंचा तो वहां पर पदस्थ डॉ नितिन यादव द्वारा बाहर का एक्सरे करवाने के लिए उसको अपने मातहत एक्सरे सेंटर जोकि पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कुछ दूरी पर स्थित है और धड़ल्ले से चल रहा है उस पर फोन करके भेज दिया गया और बताया गया कि 350 रुपए में तुम्हारा एक्सरे हो जाएगा इसके बाद जब तक तुम्हारा एक्सरे नहीं होता है तब तक हम तुम्हें दवा नहीं देंगे जिसकी शिकायत प्रार्थी ने मीडिया कर्मी व आजमगढ़ के सीएमओ साहब को फोन करके मामले को अवगत कराया जिसमें सीएमओ साहब को बीच में हस्तक्षेप करने के बाद मरीज को जाकर के बाहर से ही एक्सरे करवाना पड़ा नकी पवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मे इस प्रकार से देखने में आता है कि अधिकारियों की नकेल कसने के लिए जिले में कोई अधिकारी बचा ही नहीं एक तरफ सरकार का फरमान है गरीब जनता को सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अंदर की दवा व सारी सुविधाएं दी जाए लेकिन यह देखने में आता है कि यह मामला केवल अखबारों व अधिकारियों के टेबल तक ही रह जाता है इससे इनको कोई लेना-देना नहीं यह एक सोचने योग्य है और इस पर विचार किया जाना अति आवश्यक है और देखा जाता है कि इस मामले को अधिकारी कब संज्ञान में लेते हैं


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