नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर बनने का सपना बुन रहे उन अभ्यर्थियों के लिए राहत भरी खबर है, जिन्होंने अभी तक पीएचडी पूरा नहीं किया है. वे अब NET/SET/SLET के आधार पर ही सहायक प्रोफेसर बन सकेंगे. दरअसल, यूजीसी के द्वारा जारी नई गाइडलाइंस के मुताबिक देश के किसी भी उच्च शिक्षण संस्थानों में सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है.
यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने एक नोटिस की कॉपी ट्विटर पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सहायक प्रोफेसर की भर्ती में एक जुलाई से पीएचडी सिर्फ ऑप्शनल होगा. सहायक प्रोफेसर बनने के लिए NET/SET/SLET अब न्यूनतम अनिवार्य योग्यता होगी. यानी, जिसके पास यह योग्यता होगी, वह सहायक प्रोफेसर बन पाएंगे.
क्या कहते हैं डीयू के प्रोफेसर:सहायक प्रोफेसर और डूटा कार्यकारिणी के सदस्य आनंद प्रकाश ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहले भी सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं थी. लेकिन साल 2021 में यूजीसी ने एक संशोधन करते हुए विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट के लिए पीएचडी अनिवार्य कर दी थी और कॉलेज में चयन प्रक्रिया पहले जैसे ही थी. यानी कि मिनिमम अर्हता नेट और स्लैट.
यूजीसी ने कोविड के दौरान पीएचडी के लिये दो साल की छूट डिपार्टमेंट में हो रही चयन प्रक्रिया के लिए भी कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या उन शिक्षकों या अभ्यर्थियों के लिए होगी, जिनके पास NET/SLET नहीं है और पीएचडी की डिग्री हासिल कर रखी है.
डीयू में 3 हजार सहायक प्रोफेसर के लिए चल रही नियुक्ति:आनंद प्रकाश ने बताया कि वर्तमान समय में लगभग तीन हजार एडहॉक सहायक प्रोफ़ेसर कार्यरत है जिनकी नियुक्ति की प्रक्रिया अब चल रही है. डीयू में ओबीसी सेकंड ट्रेंच की लगभग आठ सौ पोस्ट वेकेंट भी है. अब तक कई इंटरव्यू में एडहॉक को यह कहकर निकाल दिया गया कि वह कॉलेज की क्राइटेरिया से मेल नहीं खाते हैं. अब चूंकि, यूजीसी ने नई गाइडलाइंस जारी कर दी है, तो जिन एडहॉक के पास NET/SET/SLET नहीं होगा वह बाहर हो जाएंगे.
यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने एक नोटिस की कॉपी ट्विटर पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सहायक प्रोफेसर की भर्ती में एक जुलाई से पीएचडी सिर्फ ऑप्शनल होगा. सहायक प्रोफेसर बनने के लिए NET/SET/SLET अब न्यूनतम अनिवार्य योग्यता होगी. यानी, जिसके पास यह योग्यता होगी, वह सहायक प्रोफेसर बन पाएंगे.
क्या कहते हैं डीयू के प्रोफेसर:सहायक प्रोफेसर और डूटा कार्यकारिणी के सदस्य आनंद प्रकाश ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहले भी सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं थी. लेकिन साल 2021 में यूजीसी ने एक संशोधन करते हुए विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट के लिए पीएचडी अनिवार्य कर दी थी और कॉलेज में चयन प्रक्रिया पहले जैसे ही थी. यानी कि मिनिमम अर्हता नेट और स्लैट.
यूजीसी ने कोविड के दौरान पीएचडी के लिये दो साल की छूट डिपार्टमेंट में हो रही चयन प्रक्रिया के लिए भी कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या उन शिक्षकों या अभ्यर्थियों के लिए होगी, जिनके पास NET/SLET नहीं है और पीएचडी की डिग्री हासिल कर रखी है.
डीयू में 3 हजार सहायक प्रोफेसर के लिए चल रही नियुक्ति:आनंद प्रकाश ने बताया कि वर्तमान समय में लगभग तीन हजार एडहॉक सहायक प्रोफ़ेसर कार्यरत है जिनकी नियुक्ति की प्रक्रिया अब चल रही है. डीयू में ओबीसी सेकंड ट्रेंच की लगभग आठ सौ पोस्ट वेकेंट भी है. अब तक कई इंटरव्यू में एडहॉक को यह कहकर निकाल दिया गया कि वह कॉलेज की क्राइटेरिया से मेल नहीं खाते हैं. अब चूंकि, यूजीसी ने नई गाइडलाइंस जारी कर दी है, तो जिन एडहॉक के पास NET/SET/SLET नहीं होगा वह बाहर हो जाएंगे.
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