बहराइच।रिपोर्ट फिरदौस आलम: जंगली जानवरों के साथ शिकारियों से निपटने के लिए गश्त करने वाले वन कर्मी खाली रायफल लेकर चलते हैं। बहराइच वन विभाग के पास 75 रायफल तो हैं लेकिन कारतूस एक भी नहीं है। ऐसे में नेपाल सीमा पर सक्रिय शिकारियों व जंगली जानवरों से निपटने के लिए विभाग के कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
डीएफओ ने डीएम को पत्र भेजकर कारतूस खरीदने की अनुमति मांगी है।
बीते सप्ताह बहराइच वन प्रभाग में तेंदुए के हमले एक बालिका समेत दो लोगों की जान जा चुकी है। इससे निपटने के लिए वन विभाग कई पिंजड़ा लगाने के साथ लगातार कांबिंग करने का दावा कर रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। वन विभाग के पास साधन व संसाधन की कमी है इसी के चलते जंगली जानवर पकड़ में नहीं आ रहे हैं। यही नहीं नेपाल से जंगल सटा होने के चलते शिकारियों की आमद रहती है। यह शिकारी अत्याधुनिक असलहों से लैस होते हैं, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों के पास दशकों पुरानी रायफल तो हैं लेकिन उनको चलाने के लिए एक भी कारतूस नहीं है।
विभाग की मानें तो करीब 75 रायफल हैं जिनको वन कर्मी इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इस समय एक भी कारतूस न होने से यह रायफलें महज शोपीस बनकर रह गईं हैं। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगली जानवरों का शिकार रोकने में वन महकमे में किस प्रकार के साधन-संसाधन हैं।डीएफओ ने डीएम को लिखा पत्र
बहराइच वन प्रभाग के डीएफओ संजय शर्मा ने डीएम मोनिका रानी को पत्र लिखकर रायफल के लिए कारतूस खरीदने की अनुमति मांगी है। अब डीएम की अनुमति के बाद वन महकमा रायफलों के लिए कारतूस की खरीदारी करेगा। हालांकि डीएफओ संजय शर्मा का कहना है कि कारतूस रहते हैं। इस समय कुछ कमी थी जिसके चलते नए कारतूस खरीदे जा रहे हैं।
डीआरएस न्यूज नेटवर्क
बीते सप्ताह बहराइच वन प्रभाग में तेंदुए के हमले एक बालिका समेत दो लोगों की जान जा चुकी है। इससे निपटने के लिए वन विभाग कई पिंजड़ा लगाने के साथ लगातार कांबिंग करने का दावा कर रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। वन विभाग के पास साधन व संसाधन की कमी है इसी के चलते जंगली जानवर पकड़ में नहीं आ रहे हैं। यही नहीं नेपाल से जंगल सटा होने के चलते शिकारियों की आमद रहती है। यह शिकारी अत्याधुनिक असलहों से लैस होते हैं, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों के पास दशकों पुरानी रायफल तो हैं लेकिन उनको चलाने के लिए एक भी कारतूस नहीं है।
विभाग की मानें तो करीब 75 रायफल हैं जिनको वन कर्मी इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इस समय एक भी कारतूस न होने से यह रायफलें महज शोपीस बनकर रह गईं हैं। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगली जानवरों का शिकार रोकने में वन महकमे में किस प्रकार के साधन-संसाधन हैं।डीएफओ ने डीएम को लिखा पत्र
बहराइच वन प्रभाग के डीएफओ संजय शर्मा ने डीएम मोनिका रानी को पत्र लिखकर रायफल के लिए कारतूस खरीदने की अनुमति मांगी है। अब डीएम की अनुमति के बाद वन महकमा रायफलों के लिए कारतूस की खरीदारी करेगा। हालांकि डीएफओ संजय शर्मा का कहना है कि कारतूस रहते हैं। इस समय कुछ कमी थी जिसके चलते नए कारतूस खरीदे जा रहे हैं।
डीआरएस न्यूज नेटवर्क
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