बहराइच :रिपोर्ट फिरदौस आलम:फखरपुर चर्दा तेजवापुर खैरीघाट शासन की मंशा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव के लिए आई महिलाओं को प्रसव के बाद उनके बेड पर ही नाश्ता, दूध, फल व पौष्टिक भोजन मिले।शासन से हर महीने इस मद पर लाखों रुपये खर्च भी किए जाते हैं। लेकिन कई सीएचसी पर पौष्टिक आहार तो दूर प्रसूताओं को भोजन तक नहीं मिल रहा है। पौष्टिक आहार के नाम पर कहीं पतली दाल व चावल तो कहीं सब्जी के साथ दो रोटी ही दी जा रही है। दूध, मौसमी फल, अंडा आदि पौष्टिक खाद्य पदार्थ तो मेनू से गायब हैं।
40 लाख की आबादी वाले जिले में 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन केंद्रों पर प्रतिदिन तमाम गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मेनू के अनुसार दिए जाने वाले भोजन में सुबह के नाश्ते में एक गिलास दूध, दो अंडा, दलिया, पोहा, ब्रेड, स्लाइस व मक्खन दिया जाना चाहिए। दोपहर के भोजन में चार रोटी, दाल, सब्जी, सलाद, दही तथा रात के भोजन में चार रोटी, दाल, मौसमी सब्जी एवं मौसमी फल सेब, संतरा या केला व एक गिलास दूध मिलना चाहिए। हालांकि यह मेनू सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया है।सीएचसी चरदा में प्रसूताओं के लिए कभी भोजन ही नहीं बनता है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यहां 24 घंटे में एक-दो प्रसव ही होते हैं, इसलिए भोजन नहीं बनता। सीएचसी रमपुरवा तेजवपुर में भी प्रसूताओं का पेट काटकर संबंधित लोग अपनी जेब भर रहे हैं। यहां भी प्रसूताओं को खाना नहीं मिल रहा है। जबकि अस्पताल में रोज चार से पांच प्रसव हो रहे हैं। इसी तरह सीएचसी खैरीघाट में भी प्रसूताओं को भोजन नहीं मिल रहा है। जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फखरपुर में भर्ती जैसौरा निवासी सुधा देवी ने बताया कि शुक्रवार को उन्हें पौष्टिक भोजन में सिर्फ दो रोटी व सोयाबीन की सब्जी मिली।सुबह नाश्ते में मिला चाय व बिस्किट
नानपारा/रिसिया/जरवलरोड/विशेश्वरगंज। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नानपारा में शुक्रवार को आशा लज्जावती ने बलहा के ग्राम हुलासपुरवा निवासिनी हिना देवी तथा रुकैया खातून को पतली दाल, सब्जी व चावल दिया गया। इसी तरह विशेश्वरगंज सीएचसी में कागजों में ही पौष्टिक आहार मिल रहा है। यही हाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिसिया का भी है। जहां पौष्टिक आहार के नाम पर प्रसूताओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां भर्ती लक्ष्मी व खुशबू ने बताया कि सिर्फ नाम है कि खाना मिल रहा है। इसके अलावा सीएचसी मुस्तफाबाद में शुक्रवार को प्रसूताओं को सुबह चाय व बिस्किट तथा दोपहर में पतली दाल-चावल व रोटी-सब्जी मिली। क्या कहते हैं जिम्मेदार
सीएचसी चर्दा के अधीक्षक डॉ.आरएन वर्मा ने बताया कि 24 घंटे में एक दो महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं, जिससे कोई संस्था भोजन बनाने को तैयार नहीं है। सीएचसी रमपुरवा के अधीक्षक डॉ. अभिषेक अग्निहोत्री ने बताया कि 24 घंटे में करीब 4-5 प्रसूता अस्पताल पहुचती हैं। जिन्हें भोजन दिया जा रहा है। यदि कोई कमी है, तो उसे दूर किया जाएगा। सीएचसी नानपारा प्रभारी डॉ. चंद्रभान ने बताया कि शुक्रवार को दो प्रसूताओं को खाना दिया गया। सीएचसी रिसिया अधीक्षक डॉ. प्रत्यूष सिह ने बताया कि मरीजों को प्रतिदिन खाना दिया जाता है। मुस्तफाबाद के डॉ. कुंवर रितेश ने बताया कि प्रसूताओं के खाने पीने की उचित व्यवस्था है।
डीआरएस न्यूज नेटवर्क
नानपारा/रिसिया/जरवलरोड/विशेश्वरगंज। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नानपारा में शुक्रवार को आशा लज्जावती ने बलहा के ग्राम हुलासपुरवा निवासिनी हिना देवी तथा रुकैया खातून को पतली दाल, सब्जी व चावल दिया गया। इसी तरह विशेश्वरगंज सीएचसी में कागजों में ही पौष्टिक आहार मिल रहा है। यही हाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिसिया का भी है। जहां पौष्टिक आहार के नाम पर प्रसूताओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां भर्ती लक्ष्मी व खुशबू ने बताया कि सिर्फ नाम है कि खाना मिल रहा है। इसके अलावा सीएचसी मुस्तफाबाद में शुक्रवार को प्रसूताओं को सुबह चाय व बिस्किट तथा दोपहर में पतली दाल-चावल व रोटी-सब्जी मिली। क्या कहते हैं जिम्मेदार
सीएचसी चर्दा के अधीक्षक डॉ.आरएन वर्मा ने बताया कि 24 घंटे में एक दो महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं, जिससे कोई संस्था भोजन बनाने को तैयार नहीं है। सीएचसी रमपुरवा के अधीक्षक डॉ. अभिषेक अग्निहोत्री ने बताया कि 24 घंटे में करीब 4-5 प्रसूता अस्पताल पहुचती हैं। जिन्हें भोजन दिया जा रहा है। यदि कोई कमी है, तो उसे दूर किया जाएगा। सीएचसी नानपारा प्रभारी डॉ. चंद्रभान ने बताया कि शुक्रवार को दो प्रसूताओं को खाना दिया गया। सीएचसी रिसिया अधीक्षक डॉ. प्रत्यूष सिह ने बताया कि मरीजों को प्रतिदिन खाना दिया जाता है। मुस्तफाबाद के डॉ. कुंवर रितेश ने बताया कि प्रसूताओं के खाने पीने की उचित व्यवस्था है।
डीआरएस न्यूज नेटवर्क
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