लखनऊ।इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग में भारी तबाही हुई है।हमास द्वारा इजरायल पर किए गए आतंकी हमले और नरसंहार की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विश्व के कई नेताओं ने निंदा की है।इजरायल-फिलिस्तीन मामले में उन्माद की कोशिश करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी चेतावनी जारी की है।
योगी ने सख्त लफ्जो में कहा है कि इजरायल-हमास युद्ध में भारत सरकार के स्टैंड के खिलाफ किसी भी बयान या गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।हाल ही में योगी ने सिंधी समाज के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि जब 500 साल बाद बाबरी मस्जिद के स्थान पर रामजन्मभूमि को वापस लिया जा सकता है तो कोई कारण नहीं है कि सिंध को वापस न लिया जा सके।योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया भी आई।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने सोमवार को सिंध के संबंध में योगी आदित्यनाथ के हालिया बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी बेहद गैर जिम्मेदाराना और उनकी विस्तारवादी मानसिकता को दर्शाती है।
विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने एक बयान में कहा कि हम लखनऊ में राष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, भारत के सत्तारूढ़ दल के प्रमुख सदस्य और कट्टर हिंदुत्व विचारधारा के अनुयायी द्वारा की गई अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों की निंदा करते हैं।
बलूच ने कहा कि स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री की भड़काऊ टिप्पणियां अखंड भारत के अनावश्यक दावे से प्रेरित हैं। ये टिप्पणियां एक संशोधनवादी और विस्तारवादी मानसिकता को प्रकट करती हैं जो न केवल भारत के पड़ोसी देशों बल्कि अपने स्वयं के धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को भी अपने अधीन करना चाहती है।
बलूच ने भारतीय नेताओं से वर्चस्ववादी और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने के बजाय शांतिपूर्ण दक्षिण एशिया के निर्माण के लिए पड़ोसी देशों के साथ विवादों को सुलझाने का आग्रह किया।
आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी में ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर टिप्पणी करने का विशेषाधिकार केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ही पास रहा है।ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान उनकी सियासी छलांग में जबरदस्त तड़का लगाते हैं। रोहतक के एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख के साथ योगी का आना उनके भविष्य की संभावनाओं पर मुहर लगता है।शायद संघ भी योगी को केंद्र में लाने का मन बना रहा है।आइए योगी के बयानों के सियासी विस्तार पर एक नजर डालते हैं।1-सिंध प्रांत को पाकिस्तान से लाएंगे वापस
सिंधी लोगों की सभा में इस तरह की बात नेताओं के लिए आम बात है,लेकिन जब वो उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बोलता है और योगी आदित्यनाथ जैसा कद्दावर शख्सियत वाला नेता बोलता है तो चर्चा बढ़ ही जाती है।अखंड भारत आरएसएस का सपना रहा है।हालांकि योगी कभी भी आरएसएस से जुड़े नहीं रहे और न ही भाजपा से,लेकिन काफी हद तक विचार आरएसएस और भाजपा से मेल खाते रहे हैं।सिंध का सनातन से अटूट रिश्ता रहा है।हिंदू शब्द ही सिंधु से ही निकला है,सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी यहीं सिंध प्रांत में हैं।हिंदुओं की आराध्य देवी हिंगलाज देवी का मंदिर भी सिंधु में है। पाकिस्तान में सिंधु ही ऐसी जगह आज बची है जहां सबसे अधिक हिंदू हैं और सिंधु में ही सबसे अधिक हिंदू लड़कियों का अपहरण की खबरें आती हैं।जाहिर है कि हिंदू हृदय सम्राट बनने के लिए सिंधु का कितना बड़ा महत्व है।2-फिलिस्तीन के मुद्दे पर देश के स्टैंड के खिलाफ बोलने वालों पर सख्ती
इजरायल पर हमास द्वारा किए गए आतंकी हमले के बाद देश की सियासत में नया मोड़ आ गया है।यह मान लिया गया है कि जो लोग इजरायल के समर्थन में हैं वो भाजपा समर्थक हैं और जो फिलिस्तीन का समर्थन कर रहा है वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोधी है।नरेंद्र मोदी के इजरायल के पक्ष में ट्वीट करने के बाद से ही देश में कई जगहों पर फिलिस्तीन और हमास के पक्ष में नारेबाजी और जुलूस निकाले जाने की खबरें आई हैं।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों ने फिलिस्तीन के समर्थन में जुलूस निकाला तो तुरंत 4 छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई।तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह के जुलूस निकाले गए हैं,लेकिन किसी पर कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।यूपी में पुलिस ने कार्रवाई तो की ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी करते हुए कहा कि इजरायल -हमास युद्ध के मुद्दे पर भारत के स्टैंड के खिलाफ बोलने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।पीएम मोदी ने ट्वीट किया तो योगी आदित्यनाथ ने एक कदम आगे बढ़कर एक्शन भी ले लिया।
3-सीएम योगी पीएम मोदी के पदचिह्नों पर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों के मुख्यमंत्रित्व काल की तुलना की जाए तो काफी कुछ ऐसा लगेगा जैसे पीएम मोदी की तरह धीरे-धीरे योगी आदित्यनाथ की भी इमेज मेकिंग हो रही है।याद करिए आज से 10 साल पहले का गुजरात, जब वहां के सीएम नरेंद्र मोदी हुआ करते थे।गुजरात का विकास का मॉडल, विदेश निवेश आदि पूरे देश में चर्चा का विषय था।देश के सभी राज्यों के लिए गुजरात मॉडल आदर्श बन चुका था।गुजरात मॉडल की चर्चा ही नरेंद्र मोदी के लिए भाजपा में सर्वसम्मत से पीएम कैंडिडेट बनाने के सीढ़ी बनी।
ठीक उसी तरह देश में भाजपा ही नहीं गैर-भाजपा सरकारों में यूपी मॉडल लोकप्रिय हो रहा है और योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री की मांग होती है।पंजाब में सिद्धू मूसेवाला के पिता ने कहा कि अगर पंजाब के सीएम योगी होते तो मेरे बेटे की हत्या नहीं होती और अगर हत्या हो भी जाती तो हत्यारे खुलेआम नहीं घूम रहे होते।देश के किसी भी राज्य में अपराध होता है तो योगी आदित्यनाथ को याद किया जाता है। यूपी की ग्रोथ रेट और यूपी में विदेशी निवेश उसी तरह चर्चा में है जैसे कभी गुजरात का हुआ करता था।इतना ही नहीं आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पूरा देश कह रहा है कि देश के विकास का ग्रोथ इंजन यूपी बन रहा है।
4- आतंकवाद के मामले में भाजपा के एजेंडे का धार दे रहे हैं योगी आदित्यनाथ
मुस्लिम कट्टरपंथ को लेकर योगी आदित्यनाथ हमेशा मुखर रहे हैं।ऐसे में हमास के आतंक का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ज्यादा योगी आदित्यनाथ को ही सूट करता है।इसीलिए योगी आदित्यनाथ हमास के हिमायतों को सख्त लहजे में चेतावनी देते हैं।प्रधानमंत्री होने की वजह नरेन्द्र मोदी इस मामले में भारत की विदेश नीति से बंधे हैं,जो पृथक फिलिस्तीन देश को बनाए जाने समर्थन करती आई है।ऐसे में इजरायल का एकतरफा समर्थन करना नरेन्द्र मोदी के लिए संभव नहीं है। ऐसे में अगर भाजपा हमास को खुलकर टारगेट करना चाहती है, तो उसे योगी आदित्यनाथ से बड़ा प्रचारक नहीं मिल सकता है।यह एक ऐसा मुद्दा है, जो स्थानीय चुनाव तक उपजाऊ रहने वाला है।5-क्या योगी को केंद्र में लाना चाहती है भाजपा
अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ आमतौर पर कुछ नहीं बोलते हैं,लेकिन उनके ताजा बयानों ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व से जुड़े कयासों को तेज हवा दे दी है।अभी ये कहना और करना दोनों ही थोड़ी जल्दबाजी होगी कि योगी आदित्यनाथ को भाजपा केंद्र में ला सकती है।अगर योगी आदित्यनाथ को केंद्र में लाना है तो उन्हें यूपी के 2027 के चुनावों से कम से कम एक साल पहले लाया जाएगा।योगी आदित्यनाथ का चुनावों में इस्तेमाल दक्षिण के राज्यों से लेकर बंगाल तक किया जाता है।इस तरह योगी आदित्यनाथ केवल यूपी के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए काम करें तो बेहतर है और इस काम में यदि हमास और सिंधुदेश जैसे मुद्दे योगी आदित्यनाथ की मदद करें, तो इसमें बुराई क्या है।
योगी ने सख्त लफ्जो में कहा है कि इजरायल-हमास युद्ध में भारत सरकार के स्टैंड के खिलाफ किसी भी बयान या गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।हाल ही में योगी ने सिंधी समाज के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि जब 500 साल बाद बाबरी मस्जिद के स्थान पर रामजन्मभूमि को वापस लिया जा सकता है तो कोई कारण नहीं है कि सिंध को वापस न लिया जा सके।योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया भी आई।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने सोमवार को सिंध के संबंध में योगी आदित्यनाथ के हालिया बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी बेहद गैर जिम्मेदाराना और उनकी विस्तारवादी मानसिकता को दर्शाती है।
विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने एक बयान में कहा कि हम लखनऊ में राष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, भारत के सत्तारूढ़ दल के प्रमुख सदस्य और कट्टर हिंदुत्व विचारधारा के अनुयायी द्वारा की गई अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों की निंदा करते हैं।
बलूच ने कहा कि स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री की भड़काऊ टिप्पणियां अखंड भारत के अनावश्यक दावे से प्रेरित हैं। ये टिप्पणियां एक संशोधनवादी और विस्तारवादी मानसिकता को प्रकट करती हैं जो न केवल भारत के पड़ोसी देशों बल्कि अपने स्वयं के धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को भी अपने अधीन करना चाहती है।
बलूच ने भारतीय नेताओं से वर्चस्ववादी और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने के बजाय शांतिपूर्ण दक्षिण एशिया के निर्माण के लिए पड़ोसी देशों के साथ विवादों को सुलझाने का आग्रह किया।
आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी में ऐसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर टिप्पणी करने का विशेषाधिकार केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ही पास रहा है।ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान उनकी सियासी छलांग में जबरदस्त तड़का लगाते हैं। रोहतक के एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख के साथ योगी का आना उनके भविष्य की संभावनाओं पर मुहर लगता है।शायद संघ भी योगी को केंद्र में लाने का मन बना रहा है।आइए योगी के बयानों के सियासी विस्तार पर एक नजर डालते हैं।1-सिंध प्रांत को पाकिस्तान से लाएंगे वापस
सिंधी लोगों की सभा में इस तरह की बात नेताओं के लिए आम बात है,लेकिन जब वो उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बोलता है और योगी आदित्यनाथ जैसा कद्दावर शख्सियत वाला नेता बोलता है तो चर्चा बढ़ ही जाती है।अखंड भारत आरएसएस का सपना रहा है।हालांकि योगी कभी भी आरएसएस से जुड़े नहीं रहे और न ही भाजपा से,लेकिन काफी हद तक विचार आरएसएस और भाजपा से मेल खाते रहे हैं।सिंध का सनातन से अटूट रिश्ता रहा है।हिंदू शब्द ही सिंधु से ही निकला है,सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी यहीं सिंध प्रांत में हैं।हिंदुओं की आराध्य देवी हिंगलाज देवी का मंदिर भी सिंधु में है। पाकिस्तान में सिंधु ही ऐसी जगह आज बची है जहां सबसे अधिक हिंदू हैं और सिंधु में ही सबसे अधिक हिंदू लड़कियों का अपहरण की खबरें आती हैं।जाहिर है कि हिंदू हृदय सम्राट बनने के लिए सिंधु का कितना बड़ा महत्व है।2-फिलिस्तीन के मुद्दे पर देश के स्टैंड के खिलाफ बोलने वालों पर सख्ती
इजरायल पर हमास द्वारा किए गए आतंकी हमले के बाद देश की सियासत में नया मोड़ आ गया है।यह मान लिया गया है कि जो लोग इजरायल के समर्थन में हैं वो भाजपा समर्थक हैं और जो फिलिस्तीन का समर्थन कर रहा है वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोधी है।नरेंद्र मोदी के इजरायल के पक्ष में ट्वीट करने के बाद से ही देश में कई जगहों पर फिलिस्तीन और हमास के पक्ष में नारेबाजी और जुलूस निकाले जाने की खबरें आई हैं।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्रों ने फिलिस्तीन के समर्थन में जुलूस निकाला तो तुरंत 4 छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो गई।तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह के जुलूस निकाले गए हैं,लेकिन किसी पर कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।यूपी में पुलिस ने कार्रवाई तो की ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी करते हुए कहा कि इजरायल -हमास युद्ध के मुद्दे पर भारत के स्टैंड के खिलाफ बोलने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।पीएम मोदी ने ट्वीट किया तो योगी आदित्यनाथ ने एक कदम आगे बढ़कर एक्शन भी ले लिया।
3-सीएम योगी पीएम मोदी के पदचिह्नों पर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों के मुख्यमंत्रित्व काल की तुलना की जाए तो काफी कुछ ऐसा लगेगा जैसे पीएम मोदी की तरह धीरे-धीरे योगी आदित्यनाथ की भी इमेज मेकिंग हो रही है।याद करिए आज से 10 साल पहले का गुजरात, जब वहां के सीएम नरेंद्र मोदी हुआ करते थे।गुजरात का विकास का मॉडल, विदेश निवेश आदि पूरे देश में चर्चा का विषय था।देश के सभी राज्यों के लिए गुजरात मॉडल आदर्श बन चुका था।गुजरात मॉडल की चर्चा ही नरेंद्र मोदी के लिए भाजपा में सर्वसम्मत से पीएम कैंडिडेट बनाने के सीढ़ी बनी।
ठीक उसी तरह देश में भाजपा ही नहीं गैर-भाजपा सरकारों में यूपी मॉडल लोकप्रिय हो रहा है और योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री की मांग होती है।पंजाब में सिद्धू मूसेवाला के पिता ने कहा कि अगर पंजाब के सीएम योगी होते तो मेरे बेटे की हत्या नहीं होती और अगर हत्या हो भी जाती तो हत्यारे खुलेआम नहीं घूम रहे होते।देश के किसी भी राज्य में अपराध होता है तो योगी आदित्यनाथ को याद किया जाता है। यूपी की ग्रोथ रेट और यूपी में विदेशी निवेश उसी तरह चर्चा में है जैसे कभी गुजरात का हुआ करता था।इतना ही नहीं आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पूरा देश कह रहा है कि देश के विकास का ग्रोथ इंजन यूपी बन रहा है।
4- आतंकवाद के मामले में भाजपा के एजेंडे का धार दे रहे हैं योगी आदित्यनाथ
मुस्लिम कट्टरपंथ को लेकर योगी आदित्यनाथ हमेशा मुखर रहे हैं।ऐसे में हमास के आतंक का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ज्यादा योगी आदित्यनाथ को ही सूट करता है।इसीलिए योगी आदित्यनाथ हमास के हिमायतों को सख्त लहजे में चेतावनी देते हैं।प्रधानमंत्री होने की वजह नरेन्द्र मोदी इस मामले में भारत की विदेश नीति से बंधे हैं,जो पृथक फिलिस्तीन देश को बनाए जाने समर्थन करती आई है।ऐसे में इजरायल का एकतरफा समर्थन करना नरेन्द्र मोदी के लिए संभव नहीं है। ऐसे में अगर भाजपा हमास को खुलकर टारगेट करना चाहती है, तो उसे योगी आदित्यनाथ से बड़ा प्रचारक नहीं मिल सकता है।यह एक ऐसा मुद्दा है, जो स्थानीय चुनाव तक उपजाऊ रहने वाला है।5-क्या योगी को केंद्र में लाना चाहती है भाजपा
अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर योगी आदित्यनाथ आमतौर पर कुछ नहीं बोलते हैं,लेकिन उनके ताजा बयानों ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व से जुड़े कयासों को तेज हवा दे दी है।अभी ये कहना और करना दोनों ही थोड़ी जल्दबाजी होगी कि योगी आदित्यनाथ को भाजपा केंद्र में ला सकती है।अगर योगी आदित्यनाथ को केंद्र में लाना है तो उन्हें यूपी के 2027 के चुनावों से कम से कम एक साल पहले लाया जाएगा।योगी आदित्यनाथ का चुनावों में इस्तेमाल दक्षिण के राज्यों से लेकर बंगाल तक किया जाता है।इस तरह योगी आदित्यनाथ केवल यूपी के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए काम करें तो बेहतर है और इस काम में यदि हमास और सिंधुदेश जैसे मुद्दे योगी आदित्यनाथ की मदद करें, तो इसमें बुराई क्या है।
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