सीतापुर। रिपोर्ट राकेश पाण्डेय:किसान हित में हितैषी बनने का दावा कर रही भारतीय जनता पार्टी के सरकार की कथनी और करनी में बहुत बड़ा अन्तर है।इसका प्रमाण विगत एक अक्टूबर से धान खरीद हेतु चालू धान क्रय केन्द्रों पर खरीद नाम मात्र की स्थिति से देखा जा सकता है।
यह बात किसान मंच के राष्ट्रीय सचिव/प्रदेश प्रभारी शिव प्रकाश सिंह ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कही।उन्होंने बताया कि प्रति बीघा धान की पैदावार पांच से छह क्विंटल की होती है, परन्तु शासन द्वारा प्रति बीघा सिर्फ दो क्विंटल सत्तासी किलो खरीद की अनुमति दी गई है,और इस खरीद के लिए स्वीकृति हेतु बनाए गए माप दण्ड से किसान सहित इस कार्य हेतु तैनात कर्मचारी भी बहुत परेशान हैं,किसान अपने धान का पंजीकरण कराते हैं परंतु फिर भी उनकी भूमि का विवरण बिना जांच प्रक्रिया स्वयं ही निरस्त हो जाता है।
जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने पर बताया जाता है कि इंटरनेट की समस्या है।इस बार धान खरीद में किसान चाहे पांच बीघे का मालिक हो या सौ बीघे का मालिक सभी को स्वीकृति हेतु उसी प्रकिया के चलते उतनी ही भागदौड़ करनी पड़ रही है।इस समस्या के कारण लघु और सीमांत किसान मंडी में कम कीमत पर अपना धान बेचने को मजबूर है।
किसान मंच की मांग है कि इस प्रक्रिया में उत्पन्न जटिलताओं से किसानों को मुक्त कराया जाए,और धान खरीद में पांच क्विंटल प्रति बीघा खरीद की अनुमति दी जाए। साथ ही लघु और सीमांत किसानों को भाग दौड़ की समस्या से निजात दिलाने हेतु बीस क्विंटल तक की खरीद के लिए सिर्फ़ पंजीकरण को ही मान्यता प्रदान कर धान खरीद की जाए।किसानों की इस ज्वलंत समस्या का अविलंब निराकरण कर किसान हित में निर्णय समय की सबसे बड़ी जरूरत है।इसे अमल में लाया जाए
दैनिक राष्ट्रसाक्षी
जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने पर बताया जाता है कि इंटरनेट की समस्या है।इस बार धान खरीद में किसान चाहे पांच बीघे का मालिक हो या सौ बीघे का मालिक सभी को स्वीकृति हेतु उसी प्रकिया के चलते उतनी ही भागदौड़ करनी पड़ रही है।इस समस्या के कारण लघु और सीमांत किसान मंडी में कम कीमत पर अपना धान बेचने को मजबूर है।
किसान मंच की मांग है कि इस प्रक्रिया में उत्पन्न जटिलताओं से किसानों को मुक्त कराया जाए,और धान खरीद में पांच क्विंटल प्रति बीघा खरीद की अनुमति दी जाए। साथ ही लघु और सीमांत किसानों को भाग दौड़ की समस्या से निजात दिलाने हेतु बीस क्विंटल तक की खरीद के लिए सिर्फ़ पंजीकरण को ही मान्यता प्रदान कर धान खरीद की जाए।किसानों की इस ज्वलंत समस्या का अविलंब निराकरण कर किसान हित में निर्णय समय की सबसे बड़ी जरूरत है।इसे अमल में लाया जाए
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