सीतापुर। रिपोर्ट राकेश पाण्डेय:जिले के विकास खण्ड सकरन में मनरेगा घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मनरेगा गबन मामले में विकास खण्ड सकरन क्षेत्र में तैनात अवर अभियंता सुभाष वर्मा भृष्टाचार के मामलों में भीष्म का रोल निभा रहे हैं।
मनरेगा में हो रहे भृष्टाचार व कमीशन खोरी की खबरें वायरल होने के बाद विकास खण्ड सकरन क्षेत्र में तैनात कई अधिकारी व कर्मचारी नप भी चुके हैं। ऐसी तमाम घटनाएं होने के बावजूद भी अवर अभियंता सुभाष वर्मा अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
अवर अभियन्ता सुभाष वर्मा की पिछले तीन सालों की तैनाती में क्षेत्र के विकास कार्यों जैसे- पंचायत भवन निर्माण, कैटल शेड निर्माण,इंटर लॉकिंग,नाली ,खड़ंजा, अमृत वाटिका, अमृत सरोवर निर्माण आदि कार्यों में जम कर भृष्टाचार हुआ है।
इनके कार्यकाल में निर्मित लगभग दर्जन भर सरकारी भवन घटिया निर्माण कार्य के चलते खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। अवर अभियन्ता सुभाष वर्मा के कार्यकाल में भृष्टाचार की खबरें मीडिया में वायरल होने के बाद विभागीय दबाव व जांच के चलते इनका स्थानांतरण तो हो गया था परन्तु अब एक बार फिर क्षेत्र में इनकी तैनाती कर दी गई है।
अब सवाल यह है कि आखिर कौन है जो भृष्टाचार के आरोपों से घिरे जेई की दोबारा तैनाती चाहता है, विकास कार्यों में भ्रष्टाचार किसकी शह पर हो रहा है?
आम जनमानस यह जानना चाहता है कि आखिर प्रशासन में बैठे लोगों की ऐसी क्या मजबूरी है की एक बार फिर भृष्टाचार में संलिप्त अवर अभियन्ता को विकास खण्ड के विकास कार्यों की बागडोर देनी पड़ रही है।
दैनिक राष्ट्रसाक्षी
अवर अभियन्ता सुभाष वर्मा की पिछले तीन सालों की तैनाती में क्षेत्र के विकास कार्यों जैसे- पंचायत भवन निर्माण, कैटल शेड निर्माण,इंटर लॉकिंग,नाली ,खड़ंजा, अमृत वाटिका, अमृत सरोवर निर्माण आदि कार्यों में जम कर भृष्टाचार हुआ है।
इनके कार्यकाल में निर्मित लगभग दर्जन भर सरकारी भवन घटिया निर्माण कार्य के चलते खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। अवर अभियन्ता सुभाष वर्मा के कार्यकाल में भृष्टाचार की खबरें मीडिया में वायरल होने के बाद विभागीय दबाव व जांच के चलते इनका स्थानांतरण तो हो गया था परन्तु अब एक बार फिर क्षेत्र में इनकी तैनाती कर दी गई है।
अब सवाल यह है कि आखिर कौन है जो भृष्टाचार के आरोपों से घिरे जेई की दोबारा तैनाती चाहता है, विकास कार्यों में भ्रष्टाचार किसकी शह पर हो रहा है?
आम जनमानस यह जानना चाहता है कि आखिर प्रशासन में बैठे लोगों की ऐसी क्या मजबूरी है की एक बार फिर भृष्टाचार में संलिप्त अवर अभियन्ता को विकास खण्ड के विकास कार्यों की बागडोर देनी पड़ रही है।
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