दुर्व्यवस्था का शिकार बना गौशाला बीमारियों का दंश झेलते दमतोड़ देते गोवंश
आजमगढ़ तहसील फूलपुर क्षेत्र के पल्थी गांव स्थित गौशाला अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उदासीनता के चलते पूरी तरह से दुर्व्यवस्था का शिकार हो चुका है। लगभग डेढ़ वर्ष पहले बेसहारा गोवंश के रख रखाव हेतु सरकार की मंशा के अनुरूप गांव में सरकारी धन से गौशाला का निर्माण हुआ था, वर्तमान में लगभग 38 गोवंश हैं। जो दुर्व्यवस्था का दंश झेल रहे हैं। गौशाला पर चार लोगों को पशुओं की देख रेख के लिए लगाया गया है। पशुओं को खाने के लिए मात्र भूषा दिया जाता है। हरा चारा और चूनी तो मानो उनके नशीब में है ही नहीं। साफ सफाई का अभाव है । अक्सर गौवंश कुपोषण और बीमारियों का दंश झेलते झेलते दम तोड़ देते हैं । मृत गोवंश को पहले से खोदे गए गड्ढे में फेंक दिया जाता है जिससे भयंकर दुर्गंध निकलती है। जिससे आस पास। के लोगों का खाना पीना उठना बैठना दुरूह हो गया है। भूसा खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है मौके पर गौशाला का देख रेख करने वाला कोई व्यक्ति नहीं मिलता है। गौशाला पर गोवंश के लिए पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों ने मांग किया है कि गौशाला की साफ सफाई, रख रखाव की समुचित व्यवस्था हो तथा गोवंश के मरने पर उन्हें मिट्टी में दफन कर दिया जाए। जिससे लोगों को दुर्गंध तथा गम्भीर बीमारियों से छुटकारा मिल सके।
ग्राम विकास अधिकारी दिनेश यादव ने बताया की केयरटेकर की मनमानी के चलते ये दुर्व्यवस्था बनी है जल्द ही सही हो जाएगा। धन के अभाव में भूषा का घर अर्धनिर्मित पड़ा है।
आजमगढ़ तहसील फूलपुर क्षेत्र के पल्थी गांव स्थित गौशाला अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उदासीनता के चलते पूरी तरह से दुर्व्यवस्था का शिकार हो चुका है। लगभग डेढ़ वर्ष पहले बेसहारा गोवंश के रख रखाव हेतु सरकार की मंशा के अनुरूप गांव में सरकारी धन से गौशाला का निर्माण हुआ था, वर्तमान में लगभग 38 गोवंश हैं। जो दुर्व्यवस्था का दंश झेल रहे हैं। गौशाला पर चार लोगों को पशुओं की देख रेख के लिए लगाया गया है। पशुओं को खाने के लिए मात्र भूषा दिया जाता है। हरा चारा और चूनी तो मानो उनके नशीब में है ही नहीं। साफ सफाई का अभाव है । अक्सर गौवंश कुपोषण और बीमारियों का दंश झेलते झेलते दम तोड़ देते हैं । मृत गोवंश को पहले से खोदे गए गड्ढे में फेंक दिया जाता है जिससे भयंकर दुर्गंध निकलती है। जिससे आस पास। के लोगों का खाना पीना उठना बैठना दुरूह हो गया है। भूसा खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है मौके पर गौशाला का देख रेख करने वाला कोई व्यक्ति नहीं मिलता है। गौशाला पर गोवंश के लिए पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों ने मांग किया है कि गौशाला की साफ सफाई, रख रखाव की समुचित व्यवस्था हो तथा गोवंश के मरने पर उन्हें मिट्टी में दफन कर दिया जाए। जिससे लोगों को दुर्गंध तथा गम्भीर बीमारियों से छुटकारा मिल सके।
ग्राम विकास अधिकारी दिनेश यादव ने बताया की केयरटेकर की मनमानी के चलते ये दुर्व्यवस्था बनी है जल्द ही सही हो जाएगा। धन के अभाव में भूषा का घर अर्धनिर्मित पड़ा है।
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