आजमगढ़ :रिपोर्ट नीरज पण्डित:निजामाबाद सरकार जहां नए-नए योजनाओं को नवाजती है। तो वहीं कुछ विभागों को नजर अंदाज कर रही है। जिसका प्रमाण आए दिन खबरों में दिखता है। लेकिन फिर भी सरकार प्रशासन इन कमियों को दूर करने की बजाय इस पर पर्दा डालती है। और बात जब स्वास्थ्य की हो तो फिर सवाल है कि आखिर क्या कारण है? क्या व्यवस्था है कि राज्य कर्मचारी एवं डॉक्टर ऐसी स्थिति में जान जोखिम में रखकर काम कर रहे हैं। बात राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बिलारी आजमगढ़ की है।जबकि जिले में ऐसे कई चिकित्सालय हैं जो खुद की तलाश में हैं। यह उन हॉस्पिटलों की श्रेणी में है जो की मरिज को छोड़िए, डॉक्टर और उनके स्टाफ अपनी सुरक्षा कर लें यही बड़ी बात है। क्योंकि यह चिकित्सालय जिस भवन में है। उस भवन का कोई भरोसा नहीं है कि कब वह गिर जाए। और उसी के साथ यहां आए उपचार के लिए मरीज भी घायल हो जाएं। पांच बेड के इस बिलारी निजामाबाद आयुर्वेदिक चिकित्सालय में उपचार कैसे होगा। जब यहां की छत से पानी टपक रहा हो। दीवारें फट गई हो ईंटे गिर रहे हो। ना यहां पानी की सुविधा न ही कोई शौचालय है। फिर भी ऐसी दुर्लभ व्यवस्था के बीच हॉस्पिटल रोजाना अपने समय अनुसार खुलता है। लगभग प्रतिदिन 15 से 20 मरीज उपचार के लिए यहां आते हैं। यहां पर उपस्थित स्टाफ में फार्मासिस्ट महेंद्र प्रताप चौरसिया एवं चौकीदार खुर्शीद अहमद से मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने बताया कि यहां की स्थिति पिछले कई सालों से यही है। इस दौरान कई अधिकारी यहां आते रहे। और सभी कमियां उनके संज्ञान में है।लेकिन अभी तक कोई कार्य नहीं हुआ दवा की जानकारी लेने पर उन्होंने बताया की दवा अभी जिले से लाना है। जो कि स्वयं अपने साधन और स्वयं के खर्चे से ही दवा लानी पड़ती है। यह प्रक्रिया कई सालों से ऐसे ही चल रही है।शौचालय की बात करें तो उस स्थिति में किसी के घर या फिर खेत की तरफ जाना पड़ता है। भवन के छत से ईंट कंकड़ गिरते रहते हैं। जिसके कारण डर बना रहता है कि कहीं कोई अप्रिय घटना ना हो जाए।
डीआरएस न्यूज़ नेटवर्क
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