सीतापुर।रिपोर्ट राकेश पाण्डेय:जनपद के कमलापुर कस्बे में मंगलवार को कसमंडा स्टेट के द्वारा मनाया जाने वाला ऐतिहासिक दशहरा मेला पर्व धूमधाम से मनाया गया।
इस मेले में अयोध्या से आए कलाकारों ने रामलीला की प्रस्तुति देकर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कसमण्डा स्टेट के कुंवर दिनकर प्रताप ने सुबह से ही विधिवत पूजा पाठ करके शाम को राधाकृष्ण मन्दिर में दर्शन कर रामलीला में रावण मर्दन की लीला को देखा और कोठी में आए हुए मेहमानों से एक बुराई छोड़ने का संकल्प दिलाया।
उन्होंने कहा दशहरा पर्व हम लोगों को बुराई पर सदैव अच्छाई की विजयी का संदेश देता है। पण्डित राधाकृष्ण पाण्डेय ने दशहरा पर्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हम सभी को भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलना चाहिए।हिंदू धर्म में दशहरे के त्योहार का खास महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इसे विजयादशमी भी कहते हैं। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में इस दिन रावण का दहन किया जाता है। इस दिन अस्त्रों-शस्त्रों और वाहनों की पूजा भी की जाती है। यह दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए काफी विशेष होता है। दशहरे के दिन किए गए टोटके, उपाय, दान और पूजा बहुत असरदार होते हैं। दशहरे के दिन तीन चीजों के दान का महत्व रहता है। जिनका गुप्त दान करने से मां लक्ष्मी जल्द ही प्रसन्न होती हैं।
नीलकण्ठ पक्षी और राजा को देखना शुभ इस दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। तब से इस पर्व के मनाने की परम्परा है। यह त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे विजयदशमी भी कहते हैं। दशहरा के दिन रावण दहन की परम्परा है।
ज्योतिष शास्त्र में इस दिन उपायों का काफी महत्व है। इस दिन जातक कुछ उपायों को कर आर्थिक संकट, कर्ज,स्वास्थ्य और वैवाहिक परेशानी से छुटकारा पा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा के दिन नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी इच्छा पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं नीलकंठ के दर्शन के महत्व के बारे में मान्यता है कि नीलकंड पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है। पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे। तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है। उसे हर कार्य में सफलता मिलने लगती है ऐसा भी कहा जाता है कि रावण के वध के बाद श्रीराम पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था। तब भगवान राम और लक्ष्मण ने भोलेनाथ की आराधना की और पाप से मुक्ति के लिए आह्वान किया। उस समय शिवजी नीलकंड के रूप में धरती पर थे।
इस कारण से नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन को शुभ माना गया है।
दैनिक राष्ट्रसाक्षी
उन्होंने कहा दशहरा पर्व हम लोगों को बुराई पर सदैव अच्छाई की विजयी का संदेश देता है। पण्डित राधाकृष्ण पाण्डेय ने दशहरा पर्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हम सभी को भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलना चाहिए।हिंदू धर्म में दशहरे के त्योहार का खास महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इसे विजयादशमी भी कहते हैं। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में इस दिन रावण का दहन किया जाता है। इस दिन अस्त्रों-शस्त्रों और वाहनों की पूजा भी की जाती है। यह दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए काफी विशेष होता है। दशहरे के दिन किए गए टोटके, उपाय, दान और पूजा बहुत असरदार होते हैं। दशहरे के दिन तीन चीजों के दान का महत्व रहता है। जिनका गुप्त दान करने से मां लक्ष्मी जल्द ही प्रसन्न होती हैं।
नीलकण्ठ पक्षी और राजा को देखना शुभ इस दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। तब से इस पर्व के मनाने की परम्परा है। यह त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे विजयदशमी भी कहते हैं। दशहरा के दिन रावण दहन की परम्परा है।
ज्योतिष शास्त्र में इस दिन उपायों का काफी महत्व है। इस दिन जातक कुछ उपायों को कर आर्थिक संकट, कर्ज,स्वास्थ्य और वैवाहिक परेशानी से छुटकारा पा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दशहरा के दिन नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी इच्छा पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं नीलकंठ के दर्शन के महत्व के बारे में मान्यता है कि नीलकंड पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है। पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे। तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है। उसे हर कार्य में सफलता मिलने लगती है ऐसा भी कहा जाता है कि रावण के वध के बाद श्रीराम पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था। तब भगवान राम और लक्ष्मण ने भोलेनाथ की आराधना की और पाप से मुक्ति के लिए आह्वान किया। उस समय शिवजी नीलकंड के रूप में धरती पर थे।
इस कारण से नीलकण्ठ पक्षी के दर्शन को शुभ माना गया है।
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